होलाष्टक – 27 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएगा और 7 मार्च को होलिका दहन के बाद खत्म होगा। होलाष्टक में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन इन दिनों में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। जो लोग कोई शुभ काम करना चाहते हैं, वे होलाष्टक से पहले या होली के बाद कर पाएंगे।
होलाष्टक के दिनों में घर की जरूरत का छोटा-बड़ा सामान खरीदा जा सकता है, लेकिन विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन जैसे शुभ काम इन दिनों में न किए जाए तो ज्यादा बेहतर रहता है। ये समय पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत अच्छा रहता है। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। ग्रंथों का पाठ करें। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं।
होलाष्टक से जुड़ी मान्यता
होली भक्त प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यपु से संबंधित पर्व है। असुर राज हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु को शत्रु मानता था, लेकिन उसका बेटा प्रहलाद विष्णु जी का परम भक्त था। प्रहलाद की भक्ति से गुस्सा होकर हिरण्यकश्यपु ने अपने ही बेटे को मारने की कई बार कोशिश की। होलाष्टक के दिनों में प्रहलाद को हिरण्यकश्यपु ने तरह-तरह की यातनाएं दीं थीं।
होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा पर असुर राज की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए योजना बनाई कि वह प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाएगी तो वह जलकर मर जाएगा, लेकिन विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई। बाद में विष्णु जी ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यपु का वध किया था।
होलाष्टक में प्रहलाद को यातनाएं दी गई थीं, इस वजह से इन दिनों में शुभ कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। होलाष्टक के समय में नौ ग्रहों में से अधिकतर ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं होती है। इस वजह से इन दिनों शुभ काम टालने की सलाह दी जाती है। कमजोर ग्रह स्थिति में किए गए शुभ काम भी असफल हो सकते हैं।
होलाष्टक के दिनों में ध्यान जरूर करें
अभी ऋतु परिवर्तन का समय है। ठंड जा रही है और गर्मी आ रही है। इस समय में काफी लोगों का मन काम में नहीं लग पाता है। इसलिए इन दिनों में ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने से एकाग्रता बढ़ती है, नकारात्मक विचार खत्म होते हैं। काम में लगने लगता है।