Maharashtra News: महाराष्ट्र के हिंगोली (Hingoli) जिले में जैन तीर्थंकरों (Jain Tirthankaras) में से एक भगवान कुंथुनाथ (Lord Kunthunath) की 1,000 साल से अधिक पुरानी पत्थर की मूर्ति मिली है. विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मंगलवार को मुंबई (Mumbai) से करीब 600 किलोमीटर दूर औंधा नागनाथ के सोनुने गली में स्थित एक मौजूदा जैन मंदिर (Jain Temple) के परिसर में निर्माण कार्य के दौरान मूर्ति का पता चला. उन्होंने बताया कि बेसाल्ट पत्थर से उकेरी गई मूर्ति 12वीं-13वीं शताब्दी की हो सकती है और यह “परिष्कृत” बनावट की है.
इंडोलॉजिस्ट सैली पलांडे-दातार ने बताया, “औंधा नागनाथ में जैन मंदिर के पास हाल ही में खुदाई की गई जिसमें मिली मूर्ति को कुंथुनाथ भगवान के रूप में पहचाना जा सकता है.” जैन धर्म के अनुसार कुंथुनाथ 24 तीर्थंकरों में से 17वें थे, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट प्रतिनिधि प्रतीक या “लक्षण” है. उन्होंने कहा कि इस कुंथुनाथ प्रतिमा की पहचान इसके बकरी के प्रतीक से की जा सकती है. भगवान महावीर 24वें तीर्थंकर थे.
क्या था झारखंड में शिखर सम्मेद विवाद
जैन धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है. जैन समाज के लोग अहिंसा में विश्वास करते हैं. कुछ समय पहले शिखर सम्मेद को लेकर काफी विवाद हुआ था. इसे लेकर जैन समाज के लोग सड़कों पर उतर आए थे. विवाद सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने को लेकर था. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) थे.
झारखंड में जैन धर्म से जुड़ी एक पवित्र पहाड़ी को बचाने के लिए देशभर में जैन समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था. समुदाय के लोग झारखंड स्थित जैनों के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले के खिलाफ थे और इसे वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे. जैन समुदाय के लोगों का कहना था कि इसे पर्यटन स्थल बनाने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाएगी.