जाने हरतालिका तीज का व्रत, पूजाविधी ,सामग्री ,मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली हरतालिका तीज का त्योहार हर सुहागन स्त्री के लिए बेहद खास होता है। उत्तर भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इस तीज का बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन सुहागन औरतें अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा करती हैं और निर्जला उपवास करती हैं। इस तीज पर शृंगार का भी खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन औरतों को सोलह शृंगार करके व्रत रखना चाहिए। इससे देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

हरतालिक तीज पूजन शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पांच सितंबर को दोपहर 12: 21 मिनट से शुरू होकर दूसरे दिन 6 सितंबर को दोपहर 3:01 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि को मानकर हरतालिका तीज 6 सितंबर को रखा जाएगा। पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से 8:33 तक रहेगा। भगवान शिव एवं माता पार्वती की शाम को प्रदोष काल में पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है।

हरतालिका तीज पूजन विधि

ज्योतिषाचार्यों बताया कि इस दिन माता पार्वती, शिवजी और गणेशजी की पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पहले केले के पत्तों से मंडप बनाएं। मंडप में शिव परिवार को रखकर जल, रोली, अक्षत, धूप-दीप अर्पण कर पूजा करनी चाहिए। भोग में मौसमी फल, पूड़ी, चंदिया, गुलगुला के अलावा माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा एवं सुहाग सामग्री भी चढ़ानी चाहिए। भगवान शिव को भी वस्त्र चढ़ाना लाभकारी होता है। अंत में हरतालिका तीज व्रत कथा को सूनना चाहिए। इस व्रत का पारण दूसरे दिन सुबह नदी के तट पर जाकर दोबारा पूजन करके किया जाता है। व्रत के दौरान रात्रि जागरण कर भगवान का भजन करना चाहिए।

हरतालिका तीज का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले हिमालय राज की पुत्र माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए किया था। साथ ही माता पार्वती के कहने पर ही भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी कुंवारी कन्या इस दिन व्रत को रखेगी, उसके विवाह में आने वाली सभी समस्याएं दूर होंगी और भगवान शिव के समान पति की इच्छा भी पूरी होगी। साथ ही भौतिक सुखों में वृद्धि होगी और परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।

 कुंवारी कन्या भी रख सकती है हरतालिका तीज का व्रत

साथ ही इस व्रत को निर्जला रखने का विधान है, लेकिन कुंवारी कन्याएं इस व्रत में फलाहार कर सकती हैं। इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के बाद अच्छे जीवनसाथी की कामना करें। व्रत में इन सभी नियमों का ध्यान रखने से जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

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