क्या नाखून चबाने के लिए बचपन में कभी आपको डांट पड़ी है? ये सवाल इसलिए क्योंकि नाखून चबाना अच्छा नहीं माना जाता। इसे बुरी आदत ही समझा जाता है। नाखून चबाते बड़े-बुजुर्ग ने देख लिया तो जरूर टोक देंगे। दरअसल, हाथ साफ रखने और नाखून छोटा करने की सलाह हमेशा मिलती है। नाखूनों में गंदगी छिपी रहती है। इसके पोर्स में लाखों बैक्टीरिया रहते हैं। जब कोई नाखून चबाता है तो पेट में ये बैक्टीरिया भी चले जाते हैं। इससे पेट में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। साथ ही स्किन को भी नुकसान पहुंचता है। कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. विक्रांत रंजन बताते हैं कि इन बैक्टीरिया से दांत भी खराब होते हैं। नाखून भी बदरंग हो जाते हैं।
रांची स्थित बर्लिन डायग्नोस्टिक सेंटर में कार्यरत डॉ. रवि कांत चतुर्वदी बताते हैं कि नाखूनों और उंगली के बीच जो जगह होती है, उसकी ठीक से सफाई नहीं हो पाती। यहां गदंगी भीतर तक बैठ जाती है। हाथ धोने पर भी इस जगह नमी बनी रहती है। ठीक से नहीं सूखता है। तब इन जगहों पर बैक्टीरिया पनपते हैं।
तनाव होता है दूर
नाखून चबाने को लेकर कई शोध हुए हैं। इनमें बताया गया है कि नाखून चबाने से तनाव दूर होता है। किसी तरह का डर, एंग्जाइटी, घबराहट, बेचैनी आदि में भी लोग नाखून चबाते हैं।
एक प्रकार का डिस्ऑर्डर
नाखून चबाने को लेकर कई शोध हुए हैं। इसे एक तरह का डिस्ऑर्डर माना जाता है जिसे बॉडी फोकस्ड रिपिटेटिव बिहेवियर कहते हैं। इस डिस्ऑर्डर से पीड़ित होने पर व्यक्ति कुछ-कुछ देर पर नाखून चबाता है।
बच्चों में यह आदत अधिक
नाखून चबाने की आदत बच्चों में अधिक होती है। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ यह आदत छूटने लगती है। एक शोध में बताया गया है कि जो बचपन में नाखून चबाते हैं उनमें से 37 प्रतिशत में ही यह आदत रह जाती है।