जानें गुढीपाडवा त्योहार का महत्व, कथा और पूजा विधि

गुढीपाडवा 2023 – हिंदू नववर्ष की शुरुआत गुड़ी पड़वा से ही होती है.गुढीपाडवा के पर्व का उत्साह खासकर महाराष्ट्र राज्य में देखने को मिलता है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भी धूमधाम से गुढीपाडवा का पर्व मनाया जाता है. गुड़ी यानी विजय पताका. गुड़ी पड़वा के दिन पताका (ध्वज) लगाने की परंपरा है.मराठी समुदाय के लोग गुड़ी पड़वा के दिन घर के बाहर गुड़ी बांधकर पूजा करते हैं. इसे सुख-समृद्धि का सूचक माना जाता है.

कर्नाटक में गुड़ी पड़वा को युगादी, तेलंगाना में उगादी, कश्मीर में नवरेग, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा, गोवा और केरल में संवत्सर पड़वो और सिंधि समुदाय के लोग गुड़ी पड़वा को चेती चंड पर्व के नाम से मनाते हैं.

गुढीपाडवा पूजन मुहूर्त

गुढीपाडवा  का पर्व इस साल 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा. चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 2023 को रात 10:52 से होगी और इसका समापन 22 मार्च 2023 रात 08:20 पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गुढीपाडवा का पर्व 22 मार्च को मनाया जाएगा. वहीं पूजा के लिए 22 मार्च 2023 सुबह 06:29 से 07:39 का समय शुभ रहेगा.

गुढीपाडवा  पूजा विधि और परंपरा

गुड़ी पड़वा के दिन गुड़ी बनाने की परंपरा है. इसके लिए एक खंभे में पीतल के पात्र को उल्टा रखकर इसमें रेशम के लाल, पीले, केसरिया कपड़े बाधे जाते हैं. इसे फूल-मालाओं और अशोक के पत्तों से सजाया जाता है. गुड़ी पड़वा पर लोग सूर्योदय के समय शरीर में तेल लगाकर स्नान करते हैं. घर के मुख्य द्वार को आम या अशोक के पत्ते और फूलों से सजाया जाता है और रंगोली बनाई जाती है. घर के बाहर या घर के किसी हिस्से में पताका लगाया जाता है. इस दिन लोग भगवान बह्मा की पूजा करते हैं फिर गुड़ी फहराते हैं.

गुढीपाडवा  की पौराणिक कथा

गुढीपाडवा  मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन हुआ करता था. भगवान राम जब माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका की ओर जा रहे थे. तब दक्षिण में उनकी मुलाकात बालि के भाई सुग्रीव से हुई. सुग्रीव ने भगावन राम को बालि के कुशासन और आतंक के बारे में सारी बातें बताई. तब भगवान राम ने बालि का वध कर उसके आतंक से सुग्रीव को मुक्त कराया. कहा जाता है कि जिस दिन भगवान राम ने बालि का वध किया था, वह दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था. इसलिए हर साल इस दिन को दक्षिण में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है और विजय पताका फहराई जाती है. आज भी गुढीपाडवा पर पताका लगाने की परंपरा कायम है.

गुड़ी पड़वा की अन्य मान्यताएं  

श्रीराम द्वारा बालि के वध किए जाने के अलावा गुड़ी पड़वा को लेकर अन्य मान्यताएं भी हैं, जिसके अनुसार..

  • इस दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को पराजित किया था. इस जीत की खुशी मनाते हुए शिवाजी महाराज और उनके सेना ने गुड्डी फहराई थी.
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्म देव ने सृष्टि का निर्माण किया था. इसलिए इस दिन ब्रह्म देव की पूजा का महत्व है.
  • गुढीपाडवा  के दिन किसान अपनी नई फसल उगाते हैं.
  • गुढीपाडवा के दिन से ही चैत्र नवरात्रि शुरू होती है.
  • मान्यता है कि गुढीपाडवा के दिन ही संसार में पहली बार सूर्य उदित हुए थे. इसलिए शास्त्रों में गुढीपाडवा को संसार का पहला दिन भी माना जाता है.

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