जीएसटी काउंसिल की 62वीं बैठक में गुड़ समेत इन चीजों पर कम हुए टैक्स और इन मामलो में मिली राहत

नई दिल्ली– जीएसटी काउंसिल ने त्योहारों से पहले लोगों को राहत देने वाले कई उपायों पर अमल किया है. काउंसिल की आज हुई बैठक में गुड़ समेत कई प्रोडक्ट पर जीएसटी की दरों को कम करने का फैसला लिया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की 62वीं बैठक के बाद शाम में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इनके बारे में जानकारी दी.

गुड़ और जरी पर टैक्स कम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि गुड़ पर जीएसटी की दरें घटाकर 5 फीसदी कर दी गई हैं. अभी तक गुड़ पर 28 फीसदी की दर से टैक्स लग रहा था. इसी तरह सिलाई-कढ़ाई में इस्तेमाल होने वाले जरी (GST on Zari) धागे पर जीएसटी की दरें 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई हैं. जीएसटी काउंसिल ने मिलेट (GST on Millet) यानी मोटे अनाजों पर भी टैक्स करने के बारे में विचार किया और इस संबंध में फैसले भी लिए गए.

मोटे अनाजों के मामले में राहत

वित्त मंत्री ने कहा कि अगर किसी प्रोडक्ट के कंपोजिशन में 70 फीसदी मोटे अनाजों का इस्तेमाल होता है तो ऐसे मामलों में कोई टैक्स नहीं लगेगा. हालांकि टैक्स से यह छूट तभी मिलेगी, जब वजन के हिसाब से मोटे अनाजों का कंपोजिशन कम से कम 70 फीसदी होगा और प्रोडक्ट बिना ब्रांडिंग के होंगे. ब्रांडेड प्रोडक्ट की स्थिति में 5 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. अभी तक ब्रांडेड और प्री-पैकेज्ड प्रोडक्ट के मामले में 18 फीसदी टैक्स लग रहा था.

अपीलेट ट्रिब्यूनल को लेकर ये बदलाव

जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में टैक्स की दरों के अलावा भी कई अहम फैसले लिए गए. वित्त मंत्री ने बताया कि काउंसिल ने अपीलेट ट्रिब्यूनल के सदस्यों के टेन्योर को मौजूदा 65 साल से बढ़ाकर 67 साल तक करने की मंजूरी दी. कम से कम 10 साल तक के अनुभव वाले वकीलों को अपीलेट ट्रिब्यूनल का सदस्य बनाया जा सकेगा.

ईएनए पर राज्य सरकारें लेंगी फैसला

जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल को लेकर ये फैसला लिया गया कि इस पर टैक्स के बारे में राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से फैसले ले सकती हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि भले ही अदालत ने ईएनए पर टैक्स के बारे में फैसला लेने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दे दिया, हमने यह अधिकार राज्यों के हवाले करने का फैसला किया है. इसका मतलब हुआ कि अब इंडस्ट्रियल यूज वाले ईएनए पर राज्य सरकारें ही टैक्स लगाएंगी.

इनके पास जनवरी तक समय

काउंसिल की बैठक में कुछ टैक्सपेयर्स को भी राहत दी गई. बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने बताया कि बढ़ाए गए प्री-डिपॉजिट को लेकर 31 जनवरी 2024 तक अपील दायर की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि जिन मामलों में ऑर्डर मार्च 2023 तक पास हुए हैं, उनके लिए अगले साल जनवरी तक अपील की जा सकती हैं

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