मुबई- केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार खाने के तेल की कीमतों को कम करने के लिए लगातार प्रयासरत है. बीते 48 घंटे में ही दो बड़े कदम उठाए गए हैं. सरकार की कोशिश है कि त्योहारों से पहले खाद्य तेल की कीमतों में कुछ कमी लाकर आम लोगों को राहत दी जाए. बीते एक साल में खाने के तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी बढ़ोतरी के कारण जरूरत के अन्य सामान भी महंगे हो गए हैं. ऐसे में सरकार किसी एक मोर्चे पर राहत देने की योजना के साथ काम कर रही है.
शुक्रवार की देर रात सरकार ने कुछ खाद्य तेल के आयात पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में बड़ी कटौती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को मिला तो तेल की कीमतों में 4 से 5 रुपए प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है. इंपोर्ट ड्यूटी में बीते एक महीने में यह दूसरी कटौती है.
सरकार ने 30 सितंबर तक कच्चे पाम तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 30.25 से घटाकर 24.7 फीसदी कर दिया है जबकि रिफाइंड पाम तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी 41.25 फीसदी से घटाकर 35.75 फीसदी कर दिया गया है. रिफाइंड सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी भी सितंबर के अंत तक 45 फीसदी से घटाकर 37.5 फीसदी कर दिया गया है.
उम्मीद है कि इस कटौती का लाभ आम लोगों को मिलेगा और त्योहारों से पहले उन्हें खाने के तेल के लिए कुछ कम खर्च करना पड़ेगा. भारत रसोई तेलों का दुनिया का सबसे बड़े आयातक देश है. रसोई तेल की जरूरतों को दो तिहाई हिस्सा इंपोर्ट के जरिए ही पूरा ही किया जाता है. ऐसे में तेल के दाम को कम करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती ही सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है और इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने यह फैसला लिया है.
खाद्य तेल की जरूरतों को दो तिहाई भारत करता है आयात
सरसों तेल को छोड़कर बाकी अन्य तेल को भारत दूसरे देश से आयात करता है. पाम तेल इंडोनेशिया और मलेशिया, सोया और सनफ्लॉवर अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से आयात किया जाता है. बीते एक साल में खाने के तेल की कीमत 35 से 50 प्रतिशत तक बढ़ी है.
इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती के अलावा सरकार ने कीमतों को कम करने के लिए जमाखोरी को रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. सरकार ने सख्त शब्दों में आदेश दिया है कि खाने के तेल की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं शुक्रवार को ही केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने व्यापारियों से स्टॉक सीमा लगाने और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय करने की संभावनाओं पर भी चर्चा किया.
अब व्यापारियों और मिलर्स को अपने पास मौजूद तेल और तिलहन का डेटा एक पोर्टल पर अपलोड करना होगा. बाजार में तेलों की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए यह कदम उठाया गया है.