चार साल के ऑनर्स के बाद सीधे कर सकेंगे पीएचडी के लिए आवेदन

स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए नए क्रेडिट और पाठ्यक्रम ढांचे की घोषणा इस सप्ताह की शुरूआत में की गई थी और यह आनर्स डिग्री पाठ्यक्रमों को चार साल के कार्यक्रम के रूप में परिभाषित करता है।कुमार ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय तीन और चार साल के कार्यक्रमों के बीच चयन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया गया है। उनसे पूछा गया था कि क्या विश्वविद्यालयों के लिए आनर्स डिग्री के चार साल के ढांचे की तरफ बढ़ना अनिवार्य है। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी कर सकते हैं और उन्हें स्नातकोत्तर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी।

स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा?

चार साल के स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा कि पहला फायदा यह है कि उन्हें पीएचडी पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए स्नातकोत्तर डिग्री लेने की जरूरत नहीं है। किसी विषय में गहरे ज्ञान के लिए वे एक से ज्यादा विषय भी ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि बहु-विषयक पाठ्यक्रम, क्षमता वृद्धि पाठ्यक्रम, कौशल वृद्धि पाठ्यक्रम, मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम और प्रशिक्षुता एफवाईयूपी में शामिल हैं, यह विद्यार्थियों के लिए रोजगार लेने या उच्च अध्ययन के लिए अवसरों को बढ़ाएगा।

यूजीसी ने सोमवार को स्नातक कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट ढांचे को अधिसूचित किया जो विद्यार्थियों को प्रवेश और निकास के लिए कई विकल्प प्रदान करेगा। मौजूदा ‘च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम’ को संशोधित करके प्रारूप विकसित किया गया है। कार्यक्रम के अनुसार विद्यार्थी मौजूदा समय की तरह तीन साल के पाठ्यक्रम के बजाय केवल चार साल की आनर्स डिग्री हासिल कर सकेंगे। आनर्स डिग्री भी दो श्रेणियों में-आनर्स और ‘शोध के आनर्स’ प्रदान की जाएंगी।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों के एमबीबीएस में नीट से ही होगा दाखिला

सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) और राष्ट्रीय महत्त्व के अन्य संस्थानों में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के जरिए होता रहेगा। हाल ही में हुई एम्स के संचालक मंडल की बैठक में ऐसे संस्थानों में दाखिले के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा कराने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में छह दिसंबर को हुई एम्स के संचालक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में एम्स और राष्ट्रीय महत्त्व के विभिन्न संस्थानों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट से अलग प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव को विमर्श के बाद खारिज कर दिया गया। बैठक में हुई चर्चा के ब्योरे के अनुसार विमर्श के बाद यह महसूस किया गया कि सभी चिकित्सा कालेजों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा की वर्तमान परंपरा जारी रहेगी।

संसद के अधिनियम के आधार पर 1956 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान (आइएनआइ) के रूप में की गई थी। इसके बाद अन्य संस्थानों… पीजीआइएमईआर-चंडीगढ़, जेआइपीएमईआर-पुदुचेरी (2008) और स्नातक और स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम की शिक्षा के लिए 21 नए एम्स की स्थापना हुई।

दसवीं में 40 फीसद और बारहवीं में 30 फीसद सवाल योग्यता आधारित होंगे

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की साल 2023 में दसवीं की परीक्षा में कम से कम 40 फीसद और बारहवीं की परीक्षा में 30 फीसद प्रश्न योग्यता आधारित होंगे। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में कई तरह के प्रश्न पूछे जाएंगे।

बोर्ड परीक्षा में वस्तुनिष्ठ, प्रतिक्रिया का निर्माण, अभिकथन और तर्क व वास्तविक स्थिति पर आधारित सवाल पूछे जाएंगे। अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं में लगभग 40 फीसद प्रश्न और बारहवीं में लगभग 30 फीसद प्रश्न योग्यता आधारित होंगे। मंत्री ने आगे कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की शुरुआत के बाद, सीबीएसई ने संबद्ध स्कूलों को शिक्षा के प्रारूप के बारे में सिफारिशों का पालन करने की सलाह दी थी। प्रयोगात्मक परीक्षाएं एक जनवरी से शुरू होंगी।

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