आटा खुले में 38-40 रुपए और ब्रांडेड पैक में 45-55 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। जनवरी 2022 में जो भाव थे, उसके मुकाबले ये 40% से भी ज्यादा है। विश्लेषकों का कहना है कि सरकार यदि स्टॉक का गेहूं खुले बाजार में जारी नहीं करती है तो आटे के भाव में और तेजी आ सकती है।
निर्यात पर पाबंदी के बावजूद जनवरी में गेहूं के भाव 7-10% बढ़े
देश में बीते कुछ समय से गेहूं के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। निर्यात पर पाबंदी के बावजूद जनवरी में गेहूं के भाव 7-10% बढ़े हैं। चालू सीजन के लिए सरकार का न्यूनतम खरीद मूल्य (एमएसपी) 2,125 रुपए प्रति क्विंटल है। लेकिन मंगलवार को इंदौर में गेहूं के भाव 31,00 रुपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए।
दिल्ली में गेहूं 3,150 रुपए बिका, जबकि देश के कई हिस्सों में ये 3200 रुपए से ऊपर निकल गया। इसका असर न सिर्फ आटे पर, बल्कि इससे तैयार होने वाले सभी प्रोडक्ट्स के दाम पर देखा जा रहा है।
एक माह में 20% तक तेजी
गेहूं महंगा होने से आटा, मैदा, सूजी के भाव भी महीने भर में 15-20% तक बढ़ चुके हैं। सरकार से ओपन मार्केट में गेहूं बेचने की उम्मीद कर रहे मिल मालिकों ने भी अब महंगे दाम पर ही गेहूं खरीदना शुरू कर दिया है। इससे आटा महंगा हो रहा है।
बफर स्टॉक से सरप्लस गेहूं, फिर भी खुले मार्केट में बिक्री नहीं
सरकारी गोदामों में करीब 115 लाख टन गेहूं है। ये बफर स्टॉक की सीमा 74 लाख टन से 41 लाख टन ज्यादा है। सरकार ने यदि 15 दिन में ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं बाजार में नहीं बेचा तो आटे के भाव 5-6% और बढ़ सकते हैं।
अप्रैल से राहत की संभावना
गेहूं का नया स्टॉक मार्च-अप्रैल में बाजार में आएगा। उसके बाद ही भाव में कमी आने की संभावना है। हालांकि इस बीच यदि सरकार अपना स्टॉक बेचती है तो भाव गिरने शुरू हो सकते हैं।