पेट्रोल का झंझट हुई समाप्त, खेत में उपजाए ईंधन से दौड़ेगी देश की पहली फुल फ्लेक्स फ्यूल कार

फ्लेक्स फ्यूल कार- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पारंपरिक ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने के हाइड्रोजन, फ्लेक्स-ईंधन, जैव ईंधन आदि जैसे वैकल्पिक ईंधन का उपयोग करने पर बल दे रहे हैं. जिसके लिए एक कदम और आगे बढ़ते आज गडकरी भारत में दुनिया की पहली बीएस-VI (स्टेज-II), इलेक्ट्रिक फ्लेक्स-ईंधन कार लॉन्च कर दिया है.यह कार टोयोटा इनोवा है जो 100% इथेनॉल-फ्यूल पर चलेगी. यह कार दुनिया की पहली BS-VI (स्टेज-II), इलेक्ट्रीफाइ फ्लेक्स-फ्यूल कार होगी. इससे 40 प्रतिशत बिजली भी पैदा की जा सकती है. जिससे इथेनॉल की प्रभावी कीमत की लागत भी काफी कम हो जाएगी.

पिछले साल लॉन्च हुई थी टोयोटा मिराई

2022 में गडकरी ने हाइड्रोजन से चलने वाली कार टोयोटा मिराई लॉन्च की थी. इस कार को एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन और फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) तकनीक की उपयोगिता के बारे में जागरूकता करके भारत में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित इकोसिस्टम को स्थापित करना था. साथ ही बायो फ्यूल की ओर कदम का उद्देश्य पेट्रोलियम आयात पर खर्च की जाने वाली भारी राशि (16 लाख करोड़ रुपये) को कम करना और ऊर्जा में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है.

इस मौके पर गडकरी ने कहा, “हमने बहुत सी पहल की हैं लेकिन हमें और अधिक कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि प्रदूषण एक समस्या है. पारिस्थितिकी और पर्यावरण बहुत महत्वपूर्ण हैं. हमें वायु और जल प्रदूषण को कम करने की जरूरत है. यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन हमें अपनी नदियों, पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता है.”

कैसे काम करती हैं एथेनॉल फ्यूल कार?

फ्लेक्स फ्यूल वाहनों (एफएफवी) में भी एक आईसीई होता है और ये 83% तक गैसोलीन या गैसोलीन और इथेनॉल के मिश्रण पर चलने में सक्षम होते हैं. इस ईंधन को E85 के नाम से जाना जाता है. इसमें 85 प्रतिशत इथेनॉल ईंधन और 15 प्रतिशत गैसोलीन या अन्य हाइड्रोकार्बन शामिल होता है. बायो-एथेनॉल में पेट्रोल की तुलना में प्रति लीटर कम ऊर्जा होती है लेकिन एडवांस टेक्नोलॉजी के उपयोग से बायो-एथेनॉल का कैलोरी मान पेट्रोल के बराबर हो जाएगा. चूंकि एफएफवी पेट्रोल या इथेनॉल पर चलने में सक्षम है, इसलिए यह भारतीय सड़कों पर चलने वाला अपनी तरह का पहला 100 प्रतिशत ड्यूल फ्यूल वाहन होगा.

कैसे मिलता है इथेनॉल

इथेनॉल, गन्ने से चीनी उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाला एक बाई प्रोडक्ट है. यह पेट्रोल की तुलना में अधिक किफायती है और पेट्रोल का एक बेहतर विकल्प है, और इसे कच्चे तेल के विपरीत घरेलू स्तर पर फसलों से उत्पादित किया जा सकता है. टोयोटा के अलावा भारत में कुछ अन्य कार निर्माता कंपनियां पहले ही इथेनॉल-मिक्स फ्यूल में बदलाव की अपनी योजना की घोषणा की है, जिसमें मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, टोयोटा, होंडा और महिंद्रा एंड महिंद्रा शामिल हैं.

इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल से कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषकों की उत्सर्जन की मात्रा काफी कम हो जाती है. फ्लेक्स ईंधन इंजन ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और चीन सहित कई अन्य देशों में पहले से ही लोकप्रिय हैं. अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय यूनियन और चीन के बाद भारत इथेनॉल का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है.

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