जाने देश में पहली नोटबंदी कब हुई थी और तब कितना बड़ा नोट चलन से बाहर हुआ था?

भारत में नोतेबंदी का इतिहास-  आरबीआई (RBI) ने दो हजार के नोटों को चलन से बाहर का करने का आदेश दिया है. हालांकि RBI ने ये साफ कर दिया है कि 2000 के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. यानी सबसे पहले तो ये समझने की जरूरत है कि यह फैसला नोटबंदी नहीं है. क्योंकि RBI ने कहा है कि 2000 के नोट कुछ शर्तों के साथ करीब चार महीनों यानी 30 सितंबर तक बैंकों में जमा किए या बदले जा सकेंगे.

भारत में 5,000 और 10,000 रुपए के नोट कब छापे गए थे और ये कितने दिनों तक चले थे? - Quora

भारत में इससे पहले भी 500, 1000, 5000 और 10,000 के नोटों को बंद यानी चलन से बाहर किया जा चुका है, पर ज्‍यादातर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. ऐसे में आइए अब आपको बताते हैं भारत में अबतक हुई नोटबंदी से जुड़ी तमाम दिलचस्‍प बातें.

नोटबंदी आखिर है क्या?

नोटबंदी को लेकर अर्थव्यवस्था के जानकारों का मानना है कि बड़े नोटों को समय समय पर चलन से बार करने की प्रकिया कैश फ्लो को क्लीन करने के साथ काला धन यानी नोटों की जमाखोरी को रोकने और फेक करेंसी यानी नकली नोटों के काले कारोबार को रोकने के मकसद से की जाती है. 19 मई, 2023 से पहले देश में कई मौकों पर लीगल टेंडर या चलन में मौजूद नोटों से जुड़े कई फैसले लिए गए हैं.

देश में बंद हो चुका है 500 से लेकर 10,000 का नोट

भारत में 1000, 5000 और 10000 के नोट भी चलता था. लेकिन वो दौर दूसरा था. आजादी से पहले 100 रुपये से ऊपर के सभी नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया था. यानी पुराने समय में नोटबंदी जैसा फैसला लेकर बड़े नोटों को चलन से बाहर कर दिया जाता था.

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ऐसे में हम आपको एक बार फिर ये बता दें कि RBI का 2000 के नोट के संबंध में लिया गया हालिया फैसला नोटबंदी के तहत नहीं आता है. यह आदेश इन नोटों को घर, बाजार और हर जगह यानी चलन से बाहर करने से जुड़ा है.

भारत में पहली नोटबंदी

देश की पहली नोटबंदी आजादी से एक साल पहले जनवरी 1946 में हुई थी तब सबसे पहले 500, 1000 और 10,000 के नोट चलन से बाहर हुए थे. RBI की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने साल 1938 में पहली बार 10,000 रुपए का नोट छापा था. ये RBI द्वारा मुद्रित अब तक का सबसे बड़ा नोट था, जिसे जनवरी 1946 में नोटबंदी के जरिए बंद कर दिया गया. 1954 में एक बार फिर 10 हजार का नोट बाजार में आया लेकिन 1978 में उसे फिर से बंद कर दिया गया.

1978 में ऐसे थे हालात

मोरार जी देसाई की सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के अपने ट्रेजरी डिपार्टमेंट को बंद रखने को कहा गया था.

आपको बस ये याद होगा!

आगे चलकर महात्मा गांधी शृंखला के तहत जारी किए गए 500 और 1000 के नोट पीएम मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल में 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से लीगल टेंडर नहीं रहे थे. उस दौर में पूरा देश मानो बैंक के बाहर कतारों में खड़ा हो गया था. हालांकि धीरे धीरे स्थिति सामान्य हो गई थी.

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