नवरात्रि 3 अक्टूबर से आरंभ, देखें पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

 

नई दिली- नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर बुधवार से हो रहा है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिन जो व्यक्ति माता रानी की सच्चे दिल से आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। लेकिन, पूजा में आपको सबसे विशेष ख्याल रखना चाहिए पूजन सामग्री का।

पूजन सामग्री लिस्ट

धूप, फूल, 5 तरह के फल, लौंग, इलायची, दूर्वा, कपूर, अक्षत, सुपारी,नारियल,  माता रानी के लाल वस्त्र,
कलावा, नारियल, माता रानी की लाल चुनरी, माता रानी की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति, घी और दीपक,
श्रृंगार का सामान, पान का पत्ता, जायफल, जौं, मिट्टी के एक बर्तन,  हवन कुंड, लाल रंग का आसन,पंच पल्लव, पंचमेवा

जौ क्यों बोए जाते हैं

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने के साथ ही। जौ भी बोए जाते हैं। जौ बोना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके लिए आपको सबसे पहले मिट्टी का एक बर्तन लेना है और उसमें साफ मिट्टी डालनी हैं। इसके बाद थोड़ा जौ के बीज इसमें डाल दें और ऊपर से हल्का पानी भी छिड़क दें। फिर इसे मिट्टी के एक अन्य बर्तन से इसे ढक दें। जौं बोने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। इसे आपको कलश के नीचे पांच तरह के अनाज के साथ इसे स्थापित करें।

घटस्थापना में रखें इन बातों का विशेष ख्याल

  • शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना या घटस्थापना में हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पूजा के लिए लोहे के कलश या स्टील से बने कलश का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • कलश की स्थापना के दौरान दिशा का भी विशेष ख्याल रखें। कलश की स्थापना या तो उत्तर दिशा में या फिर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए।
  • कलश स्थापना करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ सफाई कर लें। वहां, पर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ही कलश की स्थापना करें।
  • कलश स्थापना के लिए चिकनी मिट्टी और रेतीली मिट्टी को फैला लें और अष्टदल बनाएं।
  • कलश में सप्त मृत्तिका, सुपारी, सिक्का, सुगंध, सर्व औषधी, कौड़ी, शहद, गंगाजल, पंच पल्लव, पीपल, आम बरगद, गूलर और पाखर के पल्लव यदि उपलब्ध न हो तो आम के पल्लव डाल लें।
  • लाल रंग के कपड़े में नारियल लपेटकर कलश के ऊपर रख दें।
  • सिंदूर से कलश में स्वास्तिक लगाएं। कलश के ऊपर मिट्टी के बर्तन में धान या चावल डालकर उसके ऊपर ही नारियल स्थापित करें।
  • पूजा के बाद वेदी के ऊपर जौं को बो दें।

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