कोलकाता– कोलकाता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ,खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और डेकन कालेज के अनुसंधानकर्ताओं को गुजरात के वडनगर में 800 ईसा पूर्व पुरानी मानव बस्ती के प्रमाण मिले हैं।आइआइटी खड़गपुर ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि वडनगर में गहन पुरातात्विक खनन के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि इन 3,000 वर्षों के दौरान विभिन्न साम्राज्यों का उदय और पतन तथा मध्य एशियाई योद्धाओं द्वारा भारत पर बार-बार किए गए हमले बारिश या सूखे जैसी जलवायु में गंभीर परिवर्तन से प्रभावित रहे।
यह अध्ययन एल्सवियर की पत्रिका ‘क्वाटरनरी साइंस रिव्यूज’ में ‘प्रारंभिक ऐतिहासिक से मध्ययुगीन काल तक जलवायु, मानव बस्ती और प्रवास: पश्चिमी भारत, वडनगर में नए पुरातात्विक खनन से मिले सबूत’ विषय से प्रकाशित हुआ है। इस खोदाई की अगुआई एएसआइ ने की है जबकि गुजरात सरकार के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय ने इसे वित्त पोषण दिया है। संयोग से वडनगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पैतृक गांव भी है। वडनगर बहु-सांस्कृतिक और बहु-धार्मिक (बौद्ध, हिंदू, जैन) बस्ती भी रहा है।
एएसआइ के पुरातत्व विज्ञानी अभिजीत अंबेकर ने कहा कि गहरी खोदाई करने से सात सांस्कृतिक काल -मौर्या, इंडो-ग्रीक, शक-क्षत्रप, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल से गायकवाड-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की मौजूदगी पता चली है और शहर का आज भी विकास हो रहा है।खोदाई के दौरान सबसे पुराना बौद्ध मठ भी मिला है। उन्होंने कहा कि हमें विशिष्ट पुरातात्विक कलाकृतियां, मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी और लोहे की वस्तुएं तथा महीन डिजाइन वाली चूड़ियां मिली हैं।
ऐसा निरंतर रिकार्ड कहीं और नहीं
वडनगर में इंडो-ग्रीक शासन के दौरान यूनानी राजा अपोलोडेटस के सिक्के के सांचे भी मिले हैं। अंबेकर ने कहा कि वडनगर इस लिहाज से भी अलग है कि सटीक कालक्रम के साथ प्रारंभिक इतिहास से मध्ययुगीन पुरातत्व का ऐसा निरंतर रिकार्ड भारत में कहीं और नहीं मिला है।