हर रेल इंजन के आगे होता है एक खास कोड, जिसमें छिपी होती है इसकी खासियत, जानें कैसे

ट्रेन को खींचकर मंजिल तक पहुंचाने वाले इंजन में आगे एक यूनीक कोड लिखा देखा होगा। उसमें अल्फाबेट के साथ एक नंबर लिखा होता है। आपको बता दें इन अल्फाबेट और नंबर का अलग-अलग मतलब होता है। इंजन पर लिखे इन नंबरों से ही उसकी सारी खासियत पता चल जाती है। इंजन डीजल से चलता है या बिजली से, मालगाड़ी का है या सवारी गाड़ी का

इंजन में लिखा कोड ‘डब्लयू डी एम 3 डी’अक्षर का एक अलग मतलब हैं l 

रेलवे में लाइन तीन तरीके की होती है बड़ी लाइन, छोटी लाइन और संकरी लाइन। रेलवे की भाषा में बड़ी लाइन को ब्रॉड गेज, छोटी लाइन को मीटर गेज और संकरी रास्ते में डाली गई लाइन को नैरो गेज के नाम से जानते हैं।नैरो गेज ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में ही होते हैं। इनमें क्रमश: ब्रॉड गेज के लिए डब्ल्यू, मीटर गेज के लिए वाय, नैरो गेज के लिए जेड का प्रयोग किया जाता है। पहला अक्षर इसी की जानकारी देता है। वहीं दूसरा अक्षर ये बताता है कि इंजन किस चीज का यूज करके चल रहा है जैसे अगर डीजल का यूज करता है तो डी अक्षर का यूज होगा।

इसी तरह और भी कई इंजन के प्रकार हैं जो आप वहां ऊपर लगे फोटो में देख सकते हैं, इसमें दिए गए अक्षरों से ही अलग कैटेगरी में किया जाता है। इंजन पर लिखा तीसरा अक्षर आपको ये बताता है कि इस इंजन का यूज किस लिए किया जा रहा है अगर इंजन पर एम लिखा है तो इसका मतलब हुआ कि इंजन का इस्तेमाल सवारी गाड़ी और मालगाड़ी दोनों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।

वहीं जिस इंजन में जी लिखा होता है उस इंजन का इस्तेमाल केवल मालगाड़ी के लिए ही करते है। इंजन के चौथे और पांचवें अक्षर का मतलब उसकी पॉवर से होता है कि इंजन कितने हॉर्सपॉवर का है इसे एचपी से प्रदर्शित करते हैं।

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