नकली दवा की धांधली होगी खत्‍म! कस्‍टमर एक QR से पता लगा लेंगे असली है या नकली

 

Duplicate Medicine in India: केंद्र सरकार (Central government) दवाओं पर क्यूआर (QR) कोड लगाने का फैसला लेने वाली है. बताया जा रहा है कि इससे असली और नकली दवाओं की पहचान आसानी से हो जाएगी. इसके लिए उपभोक्ता मंत्रालय एक पोर्टल बनाने वाला है. जहां पर यूनिक आईडी कोड फीड किया जाएगा. जिसके माध्‍यम से कस्‍टमर आसानी से असली या नकली दवा की जांच कर सकेंगे.  नकली दवा का कारोबार करने वालों की अब खैर नहीं, केंद्र सरकार जल्‍द ही दवाओं के पैकेट पर क्यूआर (QR) कोड लगाने का फैसला ले सकती है. जिससे कस्‍टमर दवा खरीदते समय ही आसानी से समझ जाएगा कि मेडिसीन असली है या नकली.

नकली दवाईयों पर लगेगी लगाम! 

मोदी सरकार नकली मेडिसीन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए बड़ा फैसला लेने वाली है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक, नकली दवाईयों की पहचान और उनकी बिक्री को रोकने के लिए ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम शुरू होने वाला है. पहले फेज में 300 से ज्‍यादा दवाइयों पर बारकोड लगाने की तैयारी चल रही है. ये सभी ऐसी दवाएं है जो मार्केट में ज्‍यादा बिकती है. आपको बता दें कि इसके बाद इसे दूसरी दवाईयों पर भी लागू किया जाएगा.

इन पर होंगे बार कोड 

खबरों के मुताबिक, दवाईयों की प्राथमिकता के आधार पर पैकेजिंग होगी. 100 रुपये से ज्‍यादा और अधिक मात्रा में बिकने वाली दवाइयों को शामिल करने की तैयारी चल रही है. इसमें एंटीबायोटिक्स, कार्डिएक, पेन किलर और एंटी-एलर्जी शामिल होने की उम्मीद की जा रही है. सरकार इस कदम को एक संकल्‍प के तौर पर एक दशक पहले लेकर आई थी. लेकिन, घरेलू फार्मा कंपनियों ने सही तरीके से तैयारी नहीं की इस वजह से इसे रोक दिया गया था. यहां तक ​​कि एक्‍सपोर्ट के लिए भी ट्रैक सिस्‍टम को अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है.

करोड़ों का हो गया है नकली दवा का कारोबार

पिछले कुछ सालों में, नकली दवाओं के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से कुछ को राज्य की एजेंसियों ने जब्‍त किया है. इस कारोबार पर रोक लगाने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण योजना की तरफ कदम आगे बढ़ाया है.आपको बता दें कि इसी साल जून माह में, केंद्र सरकार ने फार्मा कंपनियों को पैकेट पर बारकोड या क्यूआर कोड चिपकाने के लिए कहा था. एक बार इसे लागू करने के बाद, उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा विकसित एक पोर्टल (वेबसाइट) पर यूनिक आईडी कोड फीड किया जाएगा. जिससे ये पता लगाया जा सकेगा कि दवा असली है या नकली और बाद में इसे मोबाइल फोन कै द्वारा ट्रैक किया जा सकेगा. भारत में पिछले कुछ सालों में नकली दवाओं का कारोबार करोड़ोंं रुपये का हो गया है

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