ट्रेन में सैंड बॉक्स किस काम का होता है?बड़े महत्वपूर्ण काम के लिए होता हैं उपयोग

सैंड बॉक्स-भारतीय रेलवे हर रोज बड़ी सुलभता से देश के लाखों करोड़ों लोगों को उनके मंजिल तक पहुंचाती है. मौसम चाहे जो भी हो ट्रेन आपको सही सलामत आपके स्टेशन तक आपको पहुंचा ही देती है. लेकिन कई बार खराब मौसम के चलते ट्रेन को चलने में दिक्कत होती है, इन्ही दिक्कतों का समाधान है सैंड बॉक्स. आज हम इस आर्टिकल में आपको उसी के बारे में जानकारी देंगे.

सैंड बॉक्स का क्या काम होता है

कई बार जब बारिश का मौसम होता है या भारी कोहरा होता है तो रेल की पटरियां गीली हो जाती हैं और उन पर फिसलन हो जाती है. तब ट्रेन को उन पटरियों पर चलने में दिक्कत होती है. इसी दिक्कत को दूर करता है सैंड बॉक्स जो ट्रेन के इंजन में ही लगा होता है.

गीली पटरियों की वजह से ट्रेन को स्पीड बनाने में दिक्कत होती है और कई बार पहिया अपनी ही जगह पर घूमने लगता है. इस परेशानी से निपटने के लिए लोकोपायलट जो ट्रेन चलाते हैं, सैंड बॉक्स का उपयोग करते हैं और पटरियों पर रेत छिड़कते हैं. इसी की वजह से पटरियों और ट्रेन के पहियों के बीच घर्षण बढ़ जाता है और ट्रेन अच्छी तरह से सही रफ्तार में किसी भी मौसम में सरपट दौड़ती है.

ये सैंड बॉक्स काम कैसे करता है?

जब पानी, ओस, ऑयल या ग्रीस की वजह से रेलवे की पटरियों पर चिकनाहट बढ़ जाती है और ट्रेन का पहिया अपनी ही जगह पर घूमने लगता है, तब सैंड बॉक्स का उपयोग किया जाता है. सैंड बॉक्स का उपयोग करने के लिए सबसे पहले लोकोपायलट नॉच कम करके वोल्टेज की मात्रा कम करता है, उसके बाद सैंडर स्विच दबाता है. जैसे ही लोकोपायलट ये स्विच दबाता है सैंड बॉक्स अपना काम शुरू कर देता है और पटरियों पर सूखी रेत गिराने लगता है. ऐसा होने से व्हील स्लिप कम हो जाता है और ट्रेन आसानी से आगे की ओर बढ़ने लगती है.

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