मुंबई: महाराष्ट्र के महसूल विभाग में डिजिटल क्रांति को गति देतें हुए राज्य के महसूल मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने एक ऐतिहासिक और आम नागरिकांसाठी बेहद राहत देने वाला निर्णय लागू किया है। अब डिजिटल सातबारा (Digital 7/12) को कानूनी मान्यता दे दी गई है और इसके लिए तलाठी की अलग से सिग्नेचर या स्टांप की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी।
इस निर्णय से ग्रामीण भाग में प्रचलित ‘जो लिखे तलाठी, वही चले भाळी’ जैसी कहावत अब इतिहास बनेगी। सातबारा मिळण्यासाठी तलाठी कार्यालय के चक्कर, मनमानी, विलंब या पैशांची मागणी—इन सभी समस्याओं से नागरिकों को अब मुक्ती मिलेगी। सरकार ने इस संबंध में अधिकृत परिपत्रक जारी कर दिया है, जिसके बाद डिजिटल सातबारा अब पूरी तरह कानूनी संरक्षण प्राप्त दस्तावेज माना जाएगा।
क्या है नया बदलाव?
यह आदेश महाराष्ट्र जमीन महसूल संहिता 1966 और अधिकार अभिलेख व नोंदवही नियम 1971 के तहत जारी किया गया है।
अब—
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डिजिटल हस्ताक्षर,
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क्यूआर कोड
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और 16 अंकों के वेरिफिकेशन नंबर
वाला डिजिटल सातबारा ही कानूनी रूप से मान्य होगा।
इस पर तलाठी की किसी भी प्रकार की अतिरिक्त हस्ताक्षर या स्टांप की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सातबारा, 8-अ, फेरफार (Mutation) समेत सभी डिजिटल उतारे सरकारी, निमसरकारी कार्यालयों, बैंकों और न्यायालयों में मान्य एवं स्वीकार्य होंगे।
अब सिर्फ 15 रुपये में मिलेगा अधिकृत सातबारा
नागरिक अब घर बैठे या सेतू केंद्र के माध्यम से सिर्फ 15 रुपये शुल्क में अधिकृत डिजिटल सातबारा प्राप्त कर सकते हैं।
इसके लिए महाभूमी पोर्टल (digitalsatbara.mahabhumi.gov.in) पर ऑनलाइन पेमेंट के बाद दस्तावेज सीधे डाउनलोड किया जा सकेगा।
लगातार वर्षों से प्रलंबित प्रश्न, जटिल प्रक्रियाएं और चलत-फिरत भ्रष्टाचार को महसूल मंत्री बावनकुले ने एक वर्ष में ही सरल कर दिया है।
इस निर्णय से—
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पारदर्शकता बढ़ेगी
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भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगेगा
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नागरिकों को समय और धन दोनों की बचत होगी
कुल मिलाकर, डिजिटल सातबारा की यह पहल ग्रामीण प्रशासन में बड़ा और परिवर्तनकारी कदम मानी जा रही है।





