मुंबई –राज्य में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और साइबर अपराध की दर भी बढ़ी है। एक ओर जहां अपराध बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिस पर तनाव और कार्यभार भी बढ़ रहा है। बढ़ते शहरीकरण और अपराध की घटनाओं के कारण पुलिस व्यवस्था अपर्याप्त होती जा रही है और पुलिस विभाग में भर्ती के लिए गृह मंत्रालय से मांग की जा रही है। इस बीच, बढ़ते अपराध और अपर्याप्त पुलिस बल के मद्देनजर गृह विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य पुलिस बल में जनशक्ति की कमी को देखते हुए गृह मंत्रालय ने अपराधों की जांच का अधिकार भी पुलिस हेड कांस्टेबल को दे दिया है। इससे पहले, केवल पुलिस उप-निरीक्षक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को ही अब वरिष्ठ पुलिस कांस्टेबल भी अपराध की जांच कर सकेंगे। हालाँकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं।
गजट नोटिफिकेशन जारी
गृह विभाग ने राज्य में अपराधों की जांच का अधिकार पुलिस हेड कांस्टेबलों को दे दिया है। महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। हालाँकि, इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। तदनुसार, पुलिस हेड कांस्टेबल को स्नातक होना चाहिए तथा उसकी सेवा के 7 वर्ष पूरे होने चाहिए। इसके अलावा, आपराधिक जांच प्रशिक्षण स्कूल, नासिक में 6 सप्ताह का विशेष प्रशिक्षण पूरा करना और परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा। राज्य सरकार के गृह विभाग ने 9 मई को एक राजपत्र अधिसूचना में निर्देश जारी किए हैं।
यद्यपि शहरी क्षेत्रों में जनशक्ति अपर्याप्त है, फिर भी अधिकारियों की संख्या पर्याप्त है। इसलिए, अपराधों की जांच का कार्य पुलिस उप-निरीक्षक से ऊपर के पद के अधिकारियों को सौंपा जाता है। हालाँकि, ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त जनशक्ति के साथ-साथ अधिकारियों की संख्या भी कम है। यह देखा गया है कि एक ही अधिकारी द्वारा कई अपराधों की जांच करने से अधिकारियों पर तनाव बढ़ रहा है और अपराध सुलझाने की दर भी कम है। अब जबकि उच्च शिक्षित युवाओं को पुलिस बल में भर्ती किया गया है, गृह विभाग ने उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें छोटे-मोटे अपराधों की जांच का जिम्मा सौंपने का निर्णय लिया है। गृह विभाग का मानना है कि इससे कुछ हद तक अफसरों पर तनाव कम होगा और अपराध सुलझाने की दर भी बढ़ेगी। बताया जा रहा है कि गृह विभाग ने इस संबंध में यह निर्णय लिया है।