नई दिल्ली- सहकारिता क्षेत्र में बड़ी पहल करते हुए केंद्र सरकार ने शहरी कापरेटिव बैंकों को भी अन्य वाणिज्यिक बैंकों के समान अधिकार दे दिया है। देश में अभी 1,514 शहरी सहकारी बैंक हैं। कारोबार के विस्तार के लिए अब ये भी अपनी नई शाखाएं खोल सकेंगे। साथ ही वाणिज्यिक बैंकों की तरह ही अपने ग्राहकों से ये भी एकमुश्त निपटान कर सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में पहल करते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन एवं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर के साथ विस्तृत चर्चा के बाद आरबीआई ने शुक्रवार को इन महत्वपूर्ण उपायों को अधिसूचित किया।
अधिकतम पांच नई शाखाएं खोल सकते हैं शहरी कापरेटिव बैंक
शहरी कापरेटिव बैंक अपने अनुमोदित कार्यक्षेत्र में अब आरबीआई की पूर्वानुमति के बिना पिछले वित्तीय वर्ष की शाखाओं की संख्या के दस प्रतिशत तक (अधिकतम पांच) नई शाखाएं खोल सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने बोर्ड से नीति अनुमोदित करवानी होगी तथा वित्तीय नियमों का पालन करना होगा।
आरबीआई ने शहरी कापरेटिव बैंक समेत सभी विनियमित संस्थाओं के लिए एक प्रारूप अधिसूचित किया है। कापरेटिव बैंक अब अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के जरिए कर्ज लेने वालों के साथ समझौता निपटान के साथ-साथ तकनीकी राइट-आफ की सुविधा भी दे सकते हैं।
आरबीआई ने 31 मार्च 2024 तक बढ़ाया समय सीमा
आरबीआई ने कापरेटिव बैंकों के लिए प्राथमिकता के आधार पर कर्ज देने (पीएसएल) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के चरणबद्ध समय को दो वर्ष यानी 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है। 60 प्रतिशत तक कर्ज देने का लक्ष्य प्राप्त करने की समय सीमा को भी अब 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
वाणिज्यिक बैंकों की शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में भी होती हैं, किंतु कापरेटिव बैंक शहरी क्षेत्रों में ही काम करते हैं। उनकी परेशानी दूर करने एवं समन्वय के लिए एक नोडल अधिकारी भी अधिसूचित किया गया है। सहकारिता क्षेत्र की यह मांग लंबे समय से चली आ रही थी।