नई दिल्ली- कल ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला लिया था। रेपो रेट के स्थिर रहने के बावजूद बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB), केनरा बैंक (Canara Bank), और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM) ने फंड आधारित उधार दरों (MCLR) की सीमांत लागत में 10 बेसिस प्वाइंट तक की वृद्धि की है।
महंगी हो जाएगी आपकी EMI
इस वृद्धि के बाद एमसीएलआर से जुड़ी ईएमआई महंगी हो जाएगी। एक साल की अवधि की एमसीएलआर वह रेट है जिसके आधार पर अधिकांश उपभोक्ता लोन बंधे होते हैं।
किस बैंक ने कितना बढ़ाया रेट?
बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि संशोधित एक साल का एमसीएलआर मौजूदा 8.65 प्रतिशत की तुलना में 8.70 प्रतिशत होगा। बीओबी ने कहा कि नई दर 12 अगस्त से प्रभावी होगी। केनरा बैंक ने भी 12 अगस्त से अपना एमसीएलआर 5 आधार अंक बढ़ाकर 8.70 प्रतिशत कर दिया।
इसके अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) ने अपने एमसीएलआर में 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। बीओएम ने एक फाइलिंग में कहा कि बढ़ोतरी के साथ, एक साल की एमसीएलआर की दर 8.50 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई है। बैंक ने बताया कि यह संशोधित दर 10 अगस्त 2023 से प्रभावी है।
आरबीआई ने रेपो रेट को रखा था स्थिर
कल ही 8 से 10 अगस्त तक चली आरबीआई की एमपीसी के फैसलों को सुनाते हुए आरबीआई गर्वनर ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही स्थिर रखने का फैसला लिया था। रेपो रेट वह दर है जिस दर पर आरबीआई देश बैंकों को लोन देती है।
क्या होता है MCLR?
फंड-आधारित उधार दर या एमसीएलआर की सीमांत लागत वह न्यूनतम ब्याज दर है जो एक वित्तीय संस्थान को किसी विशिष्ट लोन के लिए वसूलने की आवश्यकता होती है।यह लोन के लिए ब्याज दर की निचली सीमा निर्धारित करता है। यह दर सीमा, लेनदार के लिए निश्चित है जब तक कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अन्यथा निर्दिष्ट न किया गया हो। एमसीएलआर दिए गए लोन की अवधि के अनुसार बदलता रहता है।