
सरकार के भीतर होने वाले इस विमर्श की जानकारी रखने वालों का कहना है कि वित्तीय क्षेत्र की यह रणनीति देश के भावी वित्तीय क्षेत्र के विस्तार, नियमन, प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, बैंकिंग पेशेवरों के प्रशिक्षण के साथ ही यह भी बताएगा कि सरकारी क्षेत्र में कितने बैंक होने चाहिए और इन बैंकों का आकार क्या होना चाहिए। यह तय है कि अभी सरकार की मंशा बैंकिंग सेक्टर से पूरी तरह से बाहर निकलने की नहीं है। वित्त मंत्रालय की तरफ से यह प्रपत्र अगले तीन से छह महीनों के भीतर जारी होने की संभावना है।
दुनिया के 50 बैंकों में सिर्फ एसबीआई
विलय की वजह से सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घट कर 12 रह गई है। इसके बावजूद विश्व के 50 सबसे बड़े बैंकों में सिर्फ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 48वें स्थान पर है। ऐसे में माना जाता है कि भारतीय बैंकों का मौजूदा ढांचा वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य की जरूरत के अनुरूप आवश्यक फंड उपलब्ध नहीं करा सकता।
बदलाव का रोडमैप देगा विजन डाक्युमेंट
यह डाक्युमेंट बताएगा कि वित्तीय क्षेत्र किस तरह से देश के सभी उद्योगों, स्टार्टअप और छोटे व मझोली औद्योगिक इकाइयों को विकास के लिए कर्ज मुहैया करा सकता है। साथ ही युवाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए वित्तीय सेक्टर की मौजूदा भूमिका में भी बदलाव का रोडमैप देगा।
यह बताएगा कि सरकारी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों की भूमिका क्या होगी। यह वित्तीय सेक्टर में विदेशी निवेश को आसान बनाएगा और इनमें प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को लेकर भी एक स्पष्ट दिशानिर्देश का संकेत होगा। इस रोडमैप को लागू करने में आरबीआइ की अहम भूमिका होगी।



