मुंबई- भारतीय म्यूचुअल फंड्स में अब छह से सात तरह के सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) उपलब्ध हैं। आप ‘वैल्यू-बेस्ड’ एसआईपी चुन सकते हैं। अलग-अलग समय-सीमा वाली SIP, जो बेहतर रिटर्न का दावा करती हैं। मासिक किस्तों को साप्ताहिक किस्तों में बांटने वाली SIP। अलग-अलग तारीखों वाली SIP, जो बेहतर रिटर्न देने का दावा करती हैं। और ऐसी SIP जो आपके हर महीने के निवेश को और भी जटिल फार्मूले के मुताबिक बदलती हैं।
ये बहुत सारे विकल्प हैं और कस्टमर की पसंद हमेशा अच्छी मानी जाती है। है न? खैर, ऐसा बिल्कुल नहीं है। SIP में बहुत सारे विकल्प होना निश्चित तौर पर खराब है। ये विकल्प लोगों को गुमराह करते हैं कि SIP का असली उद्देश्य क्या है और लोग अपने SIP निवेश में कैसे सफल हो सकते हैं। और भी बुरा ये है कि इससे इस सोच को बढ़ावा मिलता है कि बेहतर रिटर्न पाने का तरीक़ा कुछ नई खोजी गई तरकीब या विशेषता में छुपा है जो कुछ SIP में तो उपलब्ध है, मगर दूसरी में नहीं। ये एक फर्जी खयाल है।
SIP का मतलब
बाजार की परवाह किए बिना इक्विटी फंड में नियमित रूप से एक तय रकम निवेश करना। लंबे समय में, जब बाजार नीचे होता है तो आप ज्यादा यूनिट खरीदते हैं और जब बाजार ऊपर होता है तो कम यूनिट खरीदते हैं। इस तरह, आपकी औसत खरीद कीमत कम होने की संभावना है। इसलिए, जब आपके निवेश को भुनाने का समय आता है, तो उसकी वैल्यू ज्यादा होने की संभावना होती है। बात बस इतनी ही है। इसकी कोई गारंटी नहीं है, और निश्चित ही मनचाहा रिटर्न पाने का कोई पक्का सूत्र नहीं है।
मान लीजिए, अगर शेयर बाजार सामान्य तौर पर लंबे समय के लिए ठहराव या गिरावट में चला जाता है, तो SIP से पैसे का नुकसान होगा। ऐसे में आप एकमुश्त निवेश से कम कमा पाएंगे। लेकिन वास्तविक दुनिया में, चूंकि आप किसी ऐसी चीज में निवेश करते हैं जिसमें काफी उतार-चढ़ाव तो रहता है लेकिन आमतौर पर इसका रुझान ऊपर की ओर ही होता है। इसलिए ज्यादातर आप बेहतर नतीजे पाते हैं।
SIP की असली वैल्यू इसके गणित में नहीं बल्कि मनोविज्ञान में छिपी है
SIP के जरिये निवेश करने का एक बड़ा कारण और है। SIP की असली वैल्यू इसके गणित में नहीं बल्कि मनोविज्ञान में छिपी है। SIP नियमित रूप से निवेश करने और इक्विटी से अच्छा रिटर्न पाने का सबसे सरल तरीका है। बिना इस बात की चिंता किए कि कब निवेश करना है और कब नहीं करना है।
जब बाजार में निराशा होती है, तो कई निवेशकों की सामान्य प्रवृत्ति निवेश करना बंद कर देने की होती है। या तो इसलिए कि वे डरे हुए होते हैं या इसलिए कि वे सबसे निचला स्तर पकड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं। हालांकि, SIP निवेशक (सभी नहीं लेकिन ज्यादातर) अपना SIP जारी रखते हैं। जब बाजार ऊपर जाता है, तो ये उन्हें खराब बाजार के समय अपनी SIP को न रोकने की कीमत पता चलती है। इस तरह एक अच्छा घटनाचक्र शुरू होता है, जो नियमित निवेश की अहमियत समझने वाले निवेशकों की एक नई पीढ़ी तैयार करता है।