मुंबई- आज 14 अगस्त को इस क्रिप्टोकरेंसी ने ऑलटाइम हाई बनाया। बिटकॉइन की कीमत पहली बार ₹1.08 करोड़ के पार पहुंच गई है। बिटकॉइन की पहली बड़ी कीमत बढ़ोतरी अक्टूबर 2010 में हुई थी। जब एक बिटकॉइन की कीमत लंबे समय तक 0.10 डॉलर (करीब ₹8) के करीब स्थिर रहने के बाद ऊपर जाने लगी। साल के अंत तक ये 0.30 डालर तक पहुंच गई। वहीं 2013 तक इसकी कीमत 1000 डॉलर के पार पहुंच गई थी। आज के हिसाब से रुपए में ये कीमत ₹87 हजार के करीब होती है।2009 में जब सतोशी नाकामोटो नाम के किसी व्यक्ति ने इसे बनाया था तब इसकी वैल्यू 0 के करीब थी। यानी, अगर उस समय आप बिटकॉइन में एक रुपए से भी कम का निवेश करते तो आज उसकी कीमत ₹1 करोड़ से ज्यादा होती।
बिटकॉइन के हाई पर पहुंचने की क्या वजह हैं?
- अमेरिकी नीति में बदलाव: राष्ट्रपति ट्रम्प ने क्रिप्टो अनुकूल नीतियां लागू की हैं। जैसे बैंकों पर क्रिप्टो कंपनियों के साथ काम पर लगी पाबंदी हटाना।
- संस्थागत निवेश में बढ़ोतरी: बड़े संस्थागत निवेशकों ने बिटकॉइन ETFs में अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिसने मांग को बढ़ाया।
- क्रिप्टो मार्केट में बढ़ती स्वीकार्यता: लंदन और थाईलैंड जैसे बाजारों में भी क्रिप्टो ETF को स्वीकृति मिलने से इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है।
बिटकॉइन क्या है और कैसे काम करता है?
बिटकॉइन को डिजिटल दुनिया का “सोना” कहा जाता है। यह एक ऐसी डिजिटल करेंसी है जो बिना किसी बैंक या सरकार के नियंत्रण के काम करती है। यानी, ये डीसेंट्रलाइज है। किसी एक अथॉरिटी का इस पर कंट्रोल नहीं है।बिटकॉइन कोई फिजिकल कॉइन या नोट नहीं है, बल्कि एक डिजिटल कोड है जो आपके डिजिटल वॉलेट में रहता है। जैसे आप व्हाट्सएप पर मैसेज भेजते हैं, उसी तरह बिटकॉइन को आप इंटरनेट के जरिए दुनिया में कहीं भी भेज सकते हैं। इनकी संख्या भी सीमित है।
क्या बिटकॉइन खरीदना रिस्की है?
बिटकॉइन रिस्की हो सकता है। इसकी कीमत बहुत ऊपर-नीचे होती है। वॉलेट का पासवर्ड भूलने से भी बिटकॉइन खो सकता है। साथ ही, कुछ देश इसके लिए सख्त नियम बना सकते हैं।
- बाजार की अस्थिरता: बिटकॉइन की कीमत में बहुत उतार-चढ़ाव होता है। एक दिन में 10-20% कीमत बदल सकती है, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
- नियामक अनिश्चितता: कई देशों में क्रिप्टो के लिए स्पष्ट नियम नहीं हैं। सरकारें अचानक बैन या सख्त नियम ला सकती हैं, जिससे कीमत गिर सकती है।
- तकनीकी जटिलता: बिटकॉइन को सुरक्षित रखने के लिए तकनीकी जानकारी जरूरी है। गलती से की खोने पर निवेश डूब सकता है।
बिटकॉइन के फायदे और नुकसान है
फायदे:
- डीसेंट्रलाइजेशन: कोई सरकार या बैंक इसे नियंत्रित नहीं करता, जिससे यह स्वतंत्र और पारदर्शी है।
- महंगाई से सुरक्षा: इसकी सीमित आपूर्ति इसे महंगाई से बचाती है।
- ग्लोबल ट्रांजैक्शन: यह खासकर विदेश में पैसे भेजने का सबसे तेज और सस्ता तरीका है।
- ब्लॉकचेन की ताकत: यह लेनदेन को सुरक्षित बनाता है।
नुकसान:
- अस्थिरता: बिटकॉइन की कीमत बहुत तेजी से बदलती है, जिससे निवेश जोखिम भरा है।
- सीमित स्वीकार्यता: इसे अभी हर जगह भुगतान के लिए स्वीकार नहीं किया जाता।
- अवैध उपयोग: मनी लॉन्ड्रिंग और हथियारों की अवैध खरीदारी जैसे कामों में इस्तेमाल।
- ऊर्जा खपत: माइनिंग में बिजली की भारी खपत पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है।
बिटकॉइन ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है
- यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करता है। कल्पना करें कि एक बहीखाता है, जिसमें दुनिया भर के बिटकॉइन लेनदेन लिखे जाते हैं। इस बहीखाते को ब्लॉकचेन कहते हैं और यह हजारों कंप्यूटरों पर एक साथ मौजूद होता है।
- ब्लॉकचेन एक डिजिटल कॉपी की तरह है जो जानकारी, जैसे लेनदेन, को रिकॉर्ड करती है। इसे हर कोई देख सकता है, लेकिन कोई बदल या मिटा नहीं सकता। यह कई कंप्यूटरों पर साझा होती है, इसलिए यह सुरक्षित और भरोसेमंद है।
- जब आप किसी को बिटकॉइन भेजते हैं, यह लेनदेन ब्लॉकचेन में दर्ज होता है। इसे जांचने और सुरक्षित करने का काम “माइनर्स” करते हैं, जो अपने कंप्यूटरों की ताकत से गणितीय समस्याएं हल करते हैं। बदले में, उन्हें नए बिटकॉइन मिलते हैं।
- यह सिस्टम इसलिए खास है, क्योंकि इसमें कोई एक संस्था सारा नियंत्रण नहीं रखती। बैंक में आपके पैसे का हिसाब बैंक रखता है और अगर बैंक गलती करता है या दिवालिया हो जाता है, तो आपका पैसा खतरे में पड़ सकता है। लेकिन बिटकॉइन में, ब्लॉकचेन हर लेनदेन को पारदर्शी और सुरक्षित रखता है।
ब्लॉकचेन कैसे काम करती है?
ब्लॉकचेन को ब्लॉकों की एक श्रृंखला के रूप में सोचें। प्रत्येक ब्लॉक कॉपी का एक पेज है जिसमें लेनदेन की सूची होती है (जैसे, आदित्य ने विक्रम को 100 रुपए भेजे)।जब ब्लॉक भर जाता है, तो उसे लॉक कर दिया जाता है और पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है। नोड्स नामक कंप्यूटर इस जानकारी को जांचते और स्टोर करते हैं, यह सुनिश्चित करके कि यह सही और सुरक्षित है।ब्लॉकचेन बहुत सुरक्षित भी है, क्योंकि यह डेटा को बचाने के लिए गणित और कोड का उपयोग करता है। चूंकि कई कंप्यूटर ब्लॉकचेन की कॉपी रखते हैं, इसे हैक करना मुश्किल है।
बिटकॉइन को कहते हैं डिजिटल सोना
बिटकॉइन की एक खास बात यह है कि इसकी कुल संख्या 21 मिलियन है। इससे ज्यादा बिटकॉइन कभी नहीं बनेंगे। यह नियम इसकी तकनीक में पहले से ही लिखा हुआ है।अगर बिटकॉइन अनलिमिटेड बनते, तो जैसे ज्यादा नोट छापने से सामान की कीमतें बढ़ जाती हैं, वैसे ही बिटकॉइन की कीमत कम हो सकती थी। इस सीमित आपूर्ति की वजह से इसे “डिजिटल सोना” कहा जाता है, क्योंकि यह दुर्लभ और कीमती है।
बिटकॉइन और फिएट करेंसी में फर्क है
फिएट करेंसी वह नोट या सिक्का है, जिसे सरकार छापती है, जैसे भारत में 500 रुपए का नोट। अगर सरकार कह दे कि यह नोट अब मान्य नहीं है, जैसा कि 2016 में नोटबंदी के दौरान हुआ, तो उसकी कीमत शून्य हो सकती है बिटकॉइन सोने की तरह है जिसकी अपनी आंतरिक कीमत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भी सोने की तरह दुर्लभ है और इसे सरकार नियंत्रित नहीं कर सकती पहले लोग अनाज या सोना देकर चीजें खरीदते थे। फिर सरकार ने कागजी नोट छापे। पहले, करेंसी की कीमत सोने या चांदी जैसे भौतिक संसाधनों पर आधारित होती थी।
जितना सोना आपके पास है, उतनी ही करेंसी आप छाप सकते थे।फिर भौतिक आधार की शर्त को हटा दिया गया। यानी, सरकार जितने चाहे उतने नोट छाप सकती है। लेकिन इससे महंगाई बढ़ती है। बिटकॉइन इस पूरी व्यवस्था को बदल देता है।