अहमदावाद- प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु प्रमुख स्वामी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक अहमदाबाद में मनाया जा रहा है , इसके लिए तकरीबन 600 एकड़ में स्वामी नगर बनाया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने 14 दिसंबर को इस भव्य समारोह का उद्घाटन किया था. स्वामी महाराज 1950 में बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के प्रमुख बन गए थे. आइए जानते हैं उनके बारे में.
स्वामीनारायण संप्रदाय के पांचवें गुरु
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था की स्थाप’ना 1907 में शास्त्रीजी महाराज ने की थी. प्रमुख स्वामी स्वामी नारायण संप्रदाय के पांचवें गुरू थे. 2016 में निर्वाण होने तक वे बीएपीएस के प्रमुख रहे. देश ही नहीं विदेशों में भी उनकी ख्याति है. खासकर हिंदू धर्म के प्रचार-प्रचार और मंदिरों के विस्तार में उनका अहम योगदान है. उनके प्रति लोगों की ऐसी श्रद्धा है कि उनके जन्मशती समारोह में भाग लेने के लिए भी दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं. इनमें तमाम लोग ऐसे भी हैं जो पूरे एक महीने की छुट्टी लेकर पहुंचे हैं. पीएम मोदी भी स्वामी प्रमुख के विचारों से प्रभावित थे, गुजरात में हालिया संपन्न विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान भी उन्होंने इसका जिक्र किया था.
बचपन में ही त्याग दिया था घर
स्वामी प्रमुख का जन्म वड़ोदरा जिले की पादरा तहसील में स्थित चाणसद गांव में 7 दिसंबर 1921 को हुआ था. प्राथमिक शिक्षा के बाद बचपन में ही वे घर त्यागकर आध्यात्म की ओर अग्रसर हो गए थे. 1940 में वे शास्त्री महाराज के शिष्य बने. शास्त्री महाराज के कहने पर श्रद्धेय संत ने नारायण स्वरूपदासजी के तौर पर अपना आध्यात्मिक सफर शुरू किया. धीरे-धीरे प्यार से इन्हें स्वामी प्रमुख के नाम से जाना जाने लगा.
29 वर्ष की उम्र में बने बीएपीएस प्रमुख
1950 में महज 29 वर्ष की उम्र में स्वामी प्रमुख को बोचासणवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) का प्रमुख बना दिया गया. ऐसा नहीं था कि बीएपीएस में उनसे बड़े संत नहीं थे, लेकिन स्वामी प्रमुख की सेवाभाव, नम्रता और करुणा के चलते बीएपीएस की जिम्मेदारी स्वामी प्रमुख को दी गई. प्रमुख स्वामी जी महाराज 1971 में बीएपीएस के आध्यात्मिक प्रमुख बने और आजीवन रहे. बीएपीएस के प्रमुख के तौर पर उन्होंने हिंदू धर्म और हिंदू स्थलों का विस्तार करने में अतुलनीय योगदान दिया. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो बीएपीएस के 44 शिखर बंध और तकरीबन 12 सौ मंदिर हैं. इनमें से 11 मंदिरों का निर्माण प्रमुख स्वामी के निर्देशन में ही हुआ. दिल्ली और अहमदाबाद में बना अक्षरधाम मंदिर प्रमुख स्वामी जी की देन है.
अमेरिका में हैं 70 मंदिर
बीएपीएस का आध्यात्मिक प्रमुख बनने के बाद प्रमुख स्वामी ने अमेरिका की यात्रा भी की थी, इस यात्रा में उन्हें की टू द सिटी पुरस्कार से नवाजा गया था. बीएपीएस की वेबसाइट के अनुसार उस दौरान न्यूयॉर्क में पहला बीएपीएस मंदिर बनाया गया था. इसके बाद अगले चार दशकों में संयुक्त राज्य अमेरिका में 70 अन्य मंदिरों की स्थापना की गई जो पारंपरिक भारतीय शैली और हिंदू धर्म के प्रतीक हैं.
600 एकड़ में भव्य शहर बनाया, सारा पैसा दान का
एक महीने तक चलने वाले इस इवेंट के लिए अहमदाबाद के भीतर ही एक पूरा का पूरा शहर बसा दिया गया है। खासियत यहीं से शुरू होती है। 600 एकड़ जमीन दान की है, जिन पैसों से निर्माण हुआ है, वो भी दान के हैं। मजदूरों में ऐसे लोग शामिल हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों-अरबों में है।
इवेंट के बारे में 2 बातें..
- प्रमुख स्वामी नारायण स्वरूपदासजी का जन्म 1921 में हुआ था। उनका जन्म शताब्दी समारोह 15 दिसंबर 2022 से 15 जनवरी 2023 तक चलेगा।
- समारोह में 15 देशों के पीएम, डिप्टी पीएम और हजारों मिनिस्टर्स शामिल हो रहे है ।
छठी पास ने किया डिजाइन
इस जगह का डिजाइन सबसे अधिक चर्चा में है। जरूरत की चीजें आपको ढूंढनी नहीं पड़तीं। खुद-ब-खुद दिखाई दे जाती हैं। डिजाइन करने वाले छठी पास श्री स्वरूपदास स्वामी दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर को भी डिजाइन कर चुके हैं। गांधीनगर के अक्षरधाम के डिजाइन में भी इनका प्रमुख योगदान था। वह कहते हैं कि उन्हें कंप्यूटर का कोई ज्ञान नहीं है। कागज पर पेंसिल से डिजाइन बनाते हैं। उनके लिए ये सबसे आसान होता है।
एक महीने तक चलने वाला ये इवेंट जब खत्म हो जाएगा तो इसमें लगी सारी चीजें दान कर दी जाएंगी। जिसकी जमीन है, उसे नापकर लौटा दिया जाएगा। स्वामी नारायण संस्थान के दुनिया में लाखों फॉलोअर्स हैं। इवेंट को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाएगा। संस्थान का दावा है कि यह दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा इवेंट होगा, जिसकी कास्ट जीरो है। रिकॉर्ड भी तय माना जा रहा है।
- संस्थान के प्रमुख स्वामी, उनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज
- वड़ोदरा में 7 दिसंबर 1921 को शांतिलाल का जन्म हुआ। बचपन में ही वे घर छोड़कर अध्यात्म की ओर चले गए। 1940 में वे शास्त्री महाराज के शिष्य बने। इसी दौरान उनका नाम बदलकर नारायण स्वरूपदास स्वामी रख दिया गया।
- 1950 में शास्त्री जी महाराज ने उन्हें BAPS का अध्यक्ष नियुक्त किया। तभी से वे “प्रमुख स्वामी’ के नाम से पहचाने जाने लगे। शास्त्री महाराज के कहने पर नारायण स्वरूपदासजी ने आध्यात्मिक सफर शुरू किया।
- नारायण स्वरूपदास के गुरु शास्त्री महाराज का 1951 में निधन हो गया। 1971 में नारायण स्वरूपदास BAPS के आध्यात्मिक प्रमुख भी बने।
- स्वामी प्रमुख का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। भारत से बाहर सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में बनाए गए BAPS के मंदिर के कारण मिला। यह मंदिर लंदन में डेढ़ एकड़ जमीन पर है। इसमें 26,300 पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है। 1971 से 2000 के बीच 11 देशों में 355 मंदिर बनाने की वजह से भी स्वामी प्रमुख का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।