स्टील सेक्टर भी कार्बन उत्सर्जन का जिम्मेदार
मंत्रालय चाहता है कि वर्ष 2030 से देश में सिर्फ ग्रीन स्टील का उत्पादन हो। हालांकि अभी इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है, लेकिन पूरी तैयारी इसी दिशा में हो रही है। गुरुवार को स्टील मंत्री एच.डी कुमारस्वामी ने ग्रीन स्टील की परिभाषा को सार्वजनिक किया। दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन में स्टील सेक्टर की हिस्सेदारी सात प्रतिशत है।मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक 12 करोड़ टन ग्रीन स्टील के उत्पादन के क्षमता विस्तार के लिए सरकार प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम से इसे जोड़ने पर विचार कर रही है। विशेष प्रकार के स्टील (स्पेशल स्टील) के उत्पादन को लेकर सरकार पहले ही पीएलआई स्कीम ला चुकी है।
क्या होगा ग्रीन स्टील
बिजली खपत के आधार पर जैसे एसी और फ्रिज की रेटिंग की जाती है, वैसे ही ग्रीन स्टील की रेटिंग की जाएगी। एक टन स्टील के फिनिश्ड प्रोडक्ट के निर्माण में 2.2 टन से कम कार्बन उत्सर्जन पर उसे ग्रीन स्टील माना जाएगा। अगर कार्बन उत्सर्जन 1.6 टन से कम है तो उसे फाइव स्टार रेटिंग, 1.6-2 टन के उत्सर्जन पर फोर स्टार रेटिंग तो 2.0-2.2 तक कार्बन उत्सर्जन होने पर थ्री स्टार रेटिंग दी जाएगी।