महँगी बिकनेवाली गोडंबि हैं जहरीले लेकिन औषधि फल का बिज ,नापतोलकर करे सेवन नहीं तो पड़ेंगे लेने के देने

भिलावाँ या भिलावा या भल्लातक, बिब्बा (वैज्ञानिक नाम : Semecarpus anacardium ; संस्कृत : अग्निमुख) एक वृक्ष है जो भारत के बाहरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है। इसे मराठी मे बिब्बा कहा जाता है। इसका काजू से निकट सम्बन्ध है। यह मुख्य रूप से हात पैर की मांसपेशीयो के दर्द से निजात दिलाने हेतु इस्तेमाल होता है। इसके फल को गर्म करके इसमें सुई चुभोई जाती है, इससे इसका तेल निकल आता है जिसे उसी सुई से हात या पैरों के तलवों और एड़ी पर लगाया जाता हैं। इसके तेल को नाखूनो के बीच लगाया जाता है। इसके बीज मेवे की तरह खाये जाते है। इनकी तासिर गर्म होती है। इसका प्रयोग गोंड आदिवासी महिला के बच्चे होने पर महिला के आसपास जलाया जाता है जिससे कीटाणु महिला तक न पहुँच सके।

भिलावा के शोधन की विधि इस प्रकार है: 

  1. सबसे पहले भिलावा को गाय के मूत्र में भिगोकर रख दें.
  2. दूसरे दिन इसे दूध में भिगो दें.
  3. तीसरे दिन इसे निकालकर गर्म पानी में उबाल लें.
  4. धोने के बाद फिर दूध में डाल दें.
  5. ऐसा तीन दिन तक करें.
  6. फिर दूध से निकालकर टुकड़ों में काट लें.
  7. आगे का फूल जैसा हिस्सा अलग कर दें.
  8. फिर से पानी में उबाल लें.
  9. पीली ईंटों के चूर्ण में इसे 10 दिन दबा दें.
  10. फिर इसे निकालकर छांव में सुखा दें.
  11. फिर निकालकर उबाल लें और सुखाकर चूर्ण बना लें.

शोधन करते समय सावधानी: 

  • शोधन करते समय हाथों में दस्ताने पहन लें.
  • इसको कहीं भी त्वचा से छूने न दें क्योंकि यह जहरीला होता है.
  • अगर यह त्वचा पर कहीं छू जाए तो त्वचा पर फफोले निकल आते हैं.

भिलावा के बारे में ज़रूरी बातें: 

  • भिलावा एक विषाक्त पौधा है.
  • भिलावा औषधीय गुणों से भरपूर होता है.
  • भिलावा को हमारे मालवांचल में भिलामा कहते हैं.
  • भिलावा के बीज मेवे की तरह खाये जाते हैं.

1. इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक: भिलावा फल में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल गुण शरीर में मौजूद दूषित पदार्थों को दूर करने में मदद करते हैं. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसके लिए रोजाना पके भिलवा फल के एक भाग को शहद के साथ मिलकर खाएं तो शरीर स्वस्थ रहता है. आदिवासी इसका खूब उपयोग करते हैं.

2. आर्थराइटिस: भिलावा के तेल का उपयोग अर्थराइटिस के उपचार में किया जाता है. यह जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक है. इसके लिए दर्द प्रभावित क्षेत्र पर भिलावा तेल की कुछ बूंदें लेकर धीरे-धीरे मालिश करें. फिर इसे 10-15 मिनट तक लगा रहने दें. बाद में गुनगुने पानी से धो लें. जल्द राहत प्राप्त होगी.

3. पाचन तंत्र को करेगा मजबूत: भिलावा फल का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने में किया जाता है. इसके सेवन से पेट साफ रहता है. अपच, कब्ज और गैस के विकारों में कमी आती है. इसके लिए अच्छे 6 काजू , आधा भिलावा फल और एक बड़े चम्मच शहद को अच्छे से मिलाकर सेवन करें तो पाचन की समस्या दूर होती है.

4. न्यूरोलॉजिकल विकार: आयुर्वेद में भिलावा फल का उपयोग न्यूरोलॉजिकल विकारों जैसे कि मिर्गी और मानसिक विकारों के उपचार में भी किया जाता है. इसके लिए 1 ग्राम भिलावा पाउडर को एक चम्मच शहद के साथ एक गिलास पानी में मिलकर पीने से मानसिक शांति और राहत मिलती है.

5. पुरुष व महिला दोनों के लिए फायदेमंद: आदिवासी महिलाएं इस फल का सेवन गर्भावस्था के दौरान करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे डिलीवरी आसानी से होती है और बच्चा भी स्वस्थ होता है. इसके अलावा यह फल पुरुषों में शुक्राणु बढ़ाने का काम भी करता है.

(सावधानियां) भलावा के चूर्ण को 3 ग्राम से ज्यादा नही लेना चाहिए और इसको लेते वक्त गर्म चीजो के परहेज करने चाहिए वरना इसके फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होते है।इसको खाने के बाद खटाई बिल्कुल नही खानी चाहिए और धूप में भी नही निकलना चाहिए

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