महाराष्ट्र में कल तक कोयला नहीं पहुंचा तो कई इलाकों में बिजली सप्लाई बंद होगी, देखे कहा कितना कोयला बचा

बिजली कर्मचारीयो की हड़ताल से मचा हां हां कार…..

कोयला सप्लाई करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों द्वारा भी हड़ताल में शामिल होने की वजह से इसका जोरदार असर महाराष्ट्र में पड़ने की आशंका है. कई जगहों पर बिजली उत्पादन और आपूर्ति (Electricity supply) प्रभावित हो सकती है और कई इलाकों में बिजली गुल (Power Cut due to coal crisis) हो सकती है.

नागपुर- आज (सोमवार, 28 मार्च) और कल (मंगलवार, 29 मार्च) को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया गया है. कई केंद्रीय मजदूर और कर्मचारी संगठनों ने मिलकर देश भर में बंद की घोषणा की है. इस भारत बंद में बिजली, बैंकिंग समेत कई केंद्रीय मजदूर और कर्मचारी संगठन शामिल हुए हैं. इसका असर आम जनजीवन पर भी पड़ रहा है. कोयला सप्लाई करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों द्वारा भी हड़ताल में शामिल होने की वजह से अब इसका असर महाराष्ट्र में भी दिखाई देने की पूरी आशंका है. कोयले की सप्लाई में रुकावटें आने की वजह से राज्य के कई जगहों पर बिजली उत्पादन और आपूर्ति (Electricity supply) प्रभावित हो सकती है और कई इलाकों में बिजली गुल (Power Cut due to coal crisis) हो सकती है.

आज और कल कई यूनियन हड़ताल पर हैं. इन हड़ताल करने वाले यूनियनों में राज्य के कई बिजली केंद्रों में कोयला सप्लाई करने वाला वेस्टर्न कोलफील्ड्स का यूनियन भी शामिल है. इस यूनियन के सदस्य खदान से कोयले निकालने का काम करने से लेकर सप्लाई तक के काम में जुटे होते हैं. राज्य के कई बिजली केंद्रों में सिर्फ दो-तीन दिनों के कोयले का ही स्टॉक है. इन दिनों की स्ट्राइक की वजह से यह स्टॉक खत्म हो सकता है और इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन और सप्लाई पर फर्क पड़ सकता है.

किन बिजली केंद्रों में कितने दिनों के कोयले का स्टॉक?

अगर हम अलग-अलग बिजली केंद्रों में कोयले के स्टॉक की बात करें तो भुसावल, नाशिक और कोराडी में 2-2 दिनों के कोयले का स्टॉक बचा है. पारस में 2.5 दिनों का और परली में 2.7 दिनों का स्टॉक बचा है. चद्रपुर और खापरखेडा में हालात थोड़े बेहतर हैं. चंद्रपुर में 8 दिनों का और खापरखेडा में 10 दिनों के कोयले का स्टॉक बचा है. वैसे देखा जाए तो राज्य में फिलहाल कोयले की कमी नहीं है. लेकिन बिजली केंद्रों में इसका डिस्ट्रिब्यूशन सही ना होने की वजह से कुछ बिजली केंद्रों में कोयले का संकट पैदा होने की स्थिति हो सकती है. इसकी एक वजह यह भी है कि दो दिनों के बाद जब कर्मचारी और अधिकारी काम पर लौटेंगे तो अगले दो दिनों में स्थिति सामान्य हो पाएगी और कोयला सप्लाई ठीक तरह से शुरू हो पाएगा.

 

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