Saturday, November 23, 2024
Home धर्म - अध्यात्म  बैल पोला पर्व आज, जानिए महत्व और मनाने का तरीका

 बैल पोला पर्व आज, जानिए महत्व और मनाने का तरीका

नई दिल्ली- देश में, खासकर महाराष्ट्र में धूमधाम से बैल पोला पर्व मनाया जाता है। दो दिवसीय इस पर्व में बैल की पूजा करने का विधान है। महाराष्ट्र में ये पर्व सावन मास की पिथौरी अमावस्या पर पड़ता है। इस दिन, किसान खेत-खलिहान में मदद करने के लिए अपने मवेशियों की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार महाराष्ट्र में अविश्वसनीय खुशी के साथ मनाया जाता है और इसेपोला मराठी त्योहार के रूप में जाना जाता है।

रखंड, कर्नाटक में पोला का त्योहार भाद्रपद की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इसे पिठोरी अमावस्या, कुशग्रहणी, कुशोत्पाटिनी के नाम से भी जानते हैं।पोला का त्योहार को बैल पोला, मोठा पोला और तनहा पोला जैसे नामों से जानते हैं। यह पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही बच्चे के लिए मिट्टी या लकड़ी का घोड़ा बनाया जाता है जिसे लेकर वह घर-घर जाते हैं और उन्हें पैसे या फिर गिफ्ट्स मिलते हैं।

पोला पर्व मनाने का कारण

पौराणिक कथाओं के अनुसार,  जब भगवान विष्णु से कृष्ण अवतार लेकर जन्माष्टमी के दिन जन्म लिया था। जब इसे बारे में कंस को पता चला, तो उसने कान्हा को मारने के लिए अनेकों असुर भेजे थे। इन्हीं असुरों में से एक था पोलासुर। राक्षस पोलासुर ने अपनी लीलाओं से कान्हा ने वध कर दिया था। कान्हा से भाद्रपद की अमावस्या तिथि के दिन पोला सुर का वध किया था। इसी कारण इस दिन पोला कहा जाने लगा।  इसी कारण इस दिन बच्चों का दिन कहा जाता है।

महाराष्ट्र में पोला पर्व मनाने का तरीका 

  • पोला के पहले दिन किसान अपनी बैलों के गले, एवं मुहं से रस्सी निकाल देते है.
  • इसके बाद उन्हें हल्दी, बेसन का लेप लगाते है, तेल से उनकी मालिश की जाती है.
  • इसके बाद उन्हें गर्म पानी से अच्छे से नहलाया जाता है. अगर पास में नदी, तालाब होता है तो उन्हें वहां ले जाकर नहलाया जाता है.
  • इसके बाद उन्हें बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है.
  • इसके बाद बैल को अच्छे सजाया जाता है, उनकी सींग को कलर किया जाता है.
  • उन्हें रंगबिरंगे कपड़े पहनाये जाते है, तरह तरह के जेवर, फूलों की माला उनको पहनाते है. शाल उढ़ाते है.
  • इन सब के साथ साथ घर परिवार के सभी लोग नाच, गाना करते रहते है.
  • इस दिन का मुख्य उद्देश्य ये है कि बैलों के सींग में बंधी पुरानी रस्सी को बदलकर, नए तरीके से बांधा जाता है.
  • गाँव के सभी लोग एक जगह इक्कठे होते है, और अपने अपने पशुओं को सजाकर लाते है. इस दिन सबको अपनी बैलों को दिखने का मौका मिलता है.
  • फिर इन सबकी पूजा करके, पुरे गाँव में ढोल नगाड़े के साथ इनका  निकाला जाता है.
  • इस दिन घर में विशेष तरह के पकवान बनते है, इस दिन पूरम पोली, गुझिया, वेजीटेबल करी एवं पांच तरह की सब्जी मिलाकर मिक्स सब्जी बनाई जाती है.
  • कई किसान इस दिन से अपनी अगली खेती की शुरुवात करते है.
  • कई जगह इस दिन मेले भी लगाये जाते है, यहाँ तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित होती है, जैसे वॉलीबॉल, रेसलिंग, कबड्डी, खो-खो आदि.

इस तरह मनाते है बैल पोला पर्व

पोला पर्व के एक दिन भादो अमावस्या के दिन बैल और गाय की रस्सियां खोल दी जाती है और उनके पूरे शरीर में हल्दी, उबटन, सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाती है। इसके बाद पोला पर्व वाले दिन इन्हें अच्छे से नहलाया जाता है। इसके बाद उन्हें सजाया जाता है और गले में खूबसूरत घंटी युक्त माला पहनाई जाती है। जिन गाय या बैलों के संग होते हैं उन्हें कपड़े और धातु के छल्ले पहनाएं जाते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

× How can I help you?