वैज्ञानिकों ने खोज निकाले दो सबसे लंबी कक्षा वाले अनोखे ग्रह

बाह्यग्रहों की खोज– बाह्यग्रहों में इतने तरह के संयोजनों की संभावना होती है कि वैज्ञानिकों को बार बार नए तरह के बाह्यग्रह देखने को मिल जाते हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों को ऐसे ग्रहों का पता चला है, जो अपने आप में अनोखे नहीं है, पर उन्हें खोज पाना एक उपलब्धि है. उन्होंने नासा के टेस टेलीस्कोप की मदद से दो लंबी कक्षा वाले ग्रहों की खोज की है. ये अब तक के खोजे गए 5500 से भी ज्यादा बाह्यग्रहों में से सबसे लंबी कक्षा वाले बाह्यग्रह हैं. इस खोज ने वैज्ञानिकों को बहुत उत्सहित किया हुआ है. उनका मानना है कि TOI-4600 b और c नाम के इन बाह्यग्रहों की खोज  भविष्य में इस तरह के ग्रहों की खोज के नए आयाम खोलने का काम करेगी.

लंबी कक्षा वाले ग्रह

वैज्ञानिकों ने टेस के द्वारा खोजे गए सबसे लंबी कक्षा वाले बाह्यग्रह हैं. ये लंबी कक्षा वाले ग्रह के बौने तारे का चक्कर लगा रहे हैं और ऐसे ग्रहों की श्रेणी में जिन्हें गर्म गुरु कहा जाता है जिनकी कक्षा 10-200 दिन के बीच की होती है और उनकी त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या से कम से कम छह गुना ज्यादा होता है.

टेस की मदद

धरती पर स्थित बेहतर विभेदन वाले टेलीस्कोप की मदद से इन्हें खोजा जा सका. नासा का ट्रांजिटिंग एक्जोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट या टेस हर गोलार्द्ध को 13 सेक्टर में बांटता है जिनका 28 दिन तक लगातार सर्वे करता है जिस दौरान उस इलाके के बाह्यग्रहों की खोज होती है.

कम अवधि के ग्रह ही खोजे गए हैं

इस पद्धति में विभिन्न आकार के तारे के आगे आने वाले बड़े या छोटे ग्रहों की खोज की जा सकती है. TOI-4600 के मामले में तारा के श्रेणी का बौना तारा है जिसे नारंगी बौना भी कहते हैं. ये तारे सूर्य से थोड़े छोटे और ठंडे होते हैं. बाह्यग्रह अपने तारे का चक्कर लगाते हुए दो बार दिखाई देने चाहिए. अधिकांश खोजे गए बाह्यग्रहों के कक्षा का अवधि 40 दिन से कम की है. 

इन ग्रहों की कक्षा महत्वपूर्ण

इस लिहाज से  TOI-4600 b की कक्षा 82.69 दिन या करीब तीन महीने और TOI–4600 c की कक्षा 483.82 दिन या करीब 16 महीने का होना बहुत महत्वपूर्ण है. शोधकर्ताओं ने टेस के आंकड़ों के विश्लेषण का आधार इन ग्रहों की कक्षा और आकार का पता लगाया. ग्रहों के ट्रांजिट की पहचान करने के बाद शोधकर्तांओं उन संकेतों की पड़ताल की जो तारे से आ रहे थे. दुनिया भर के खगोलविदों ने अपने टेलीस्कोप से इस तारे के खास बिंदु से आने वाली तरंगों का अध्ययन किया.

तीन महीने की कक्षा वाला ग्रह

इन ग्रोहों के भार और आकार जानने के लिए शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि तारा ग्रहों की वजह से कितना डगमगा रहा है. उन्होंने पाया कि तारे की डगमगाहट काफी कम है. उन्होंने पाया कि TOI-4600 b की कक्षा 82.69 दिन की है, इसकी त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या से सात गुना ज्यादा है, इसका आकार नेप्च्यून और शनि के आकार के बीच का है और तापमान करीब 77 डिग्री सेल्सियस है जो अब तक के खोजे गए ग्रहों से ठंडा है.

दो ग्रह की कक्षा के मापन की समस्या

वहीं दूसरा ग्रह TOI-4600 c पृथ्वी की त्रिज्या से 9 गुना ज्यादा त्रिज्या वाला है जो कि करीब शनि का  आकार का ग्रह. लेकिन इसकी खास बात यही थी कि यह अपने तारे के सामने से दोबारा कीरब तीन साल बाद गुजरता दिखा. इससे उन्हें अंदाजा लगा स इस ग्रह की कक्षा या तो 965 दिन है या उसकी आधी, चौथाई या उससे भी कम. कम समय की कक्षा संभव नहीं थी क्योंकि ग्रह का अवलोकन लंबे समय तक हुआ था. यानि कक्षा केवल 965 दिन हो सकती थी या उससे आधी.

शोधकर्ताओं ने बर्न यूनिवर्सिटी के ह्यूग ओस्बर्न का विकसित किया प्रतिमान उपयोग कर सभी संभावित कक्षा कालों की तुलना कर पाया कि ज्यादा संभव यही है कि TOI-4600 c की कक्षा 482.82 दिन की होनी चाहिए है जिससे यह टेस के जरिए अब तक का खोजा गया सबसे लंबी अवधि वाला बाह्यग्रह हो गया. इसका तापमान करीब 43 डिग्री सेल्सियस है. इस खोज ने उम्मीद बढ़ाई की अब बाह्यग्रहों में पृथ्वी के जैसे ग्रहों को खोजना असंभव नहीं है.

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