नई दिल्ली – अक्सर हम जब रेलगाड़ी के इंजन में बैठे चालक को देखते हैं तो में उनका काम उनका काम बेहद आसान लगता है. हालांकि सच्चाई इससे इतर है क्योंकि एक रेलगाड़ी को सही स्पीड पर सही तरीके से सही फैसला लेकर चलाना बहुत ही मुश्किल काम होता है.लोको पायलट यानी इंजन के ड्राइवर की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी नहीं होती कि वह एक ट्रेन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए, बल्कि उसके जिम्मे ट्रेन में सवार हजारों मुसाफिरों या लदे हुए सामान को सुरक्षित एक से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की भी होती है. यही वजह है कि लोको पायलट बनने के लिए निश्चित पात्रता मानदंडों को पूरा करने के अलावा मुश्किल मेडिकल टेस्ट और प्रशिक्षण से होकर गुजरना पड़ता है. आइये जानते हैं कैसे बनते हैं लोको पायलट
ये पात्रता पूरी करना है जरूरी
लोको पायलट बनने के लिए कम से कम दसवीं की परीक्षा पास किया हुआ होना जरूरी है. इसके अलावा गणित या विज्ञान जैसे विशेष विषय में भी अच्छा ज्ञान होना जरूरी होता है. लोको पायलट के पद पर चयन के लिए सामान्य तौर पर 18 से 30 वर्ष के बीच ही आयु होनी जरूरी होती है.
शारीरिक क्षमता का महत्व
लोको पायलट की नौकरी में शारीरिक क्षमता का हम महत्व होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कई-कई घंटे खड़े रहने अथवा मुश्किल हातात में बैठने की जरूरत होती है. इसलिए इस नौकरी का विकल्प चुनने वाले को आवेदन करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह सामान्य शारीरिक स्थिति में हो. साथ ही उसकी दृष्टि और सुनने की क्षमता बेहद अच्छी है ताकि वह मेडिकल टेस्ट पास कर सके जिसे सबसे कठिन माना जाता है.