पिपली नहीं हैं केवल मसाला,अपितु एक गुणकारी औषधी जिसके सेवन से मिलेंगे इतने लाभ

पिपली से कई बीमारी और परेशानियां दूर रहती। इसे शरीर के लिए रामबाण माना जाता है। इसके उपयोग से ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा कंट्रोल रहती है तो इसे लिवर के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह बदलते मौसम में शरीर को बैक्टीरिया से भी बचाती है। क्योंकि कुदरत से इंसानों की सेहत और खानपान के लिए जड़ी बूटियों का अंबार मिला है। खासकर आयुर्वेदिक इलाज में इनका खास महत्व है।

भारत है पैदा होती है पिपली

भारत के प्राचीन ग्रंथों में तो पिपली का वर्णन है। विदेशी लेखन में इसकी जानकारी दी गई है। सातवीं-आठवीं ईसा पूर्व लिखे गए भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ पिपली का वर्णन है। इसे मधुर, कफवर्धक, स्निग्ध व गरम बताया गया है। प्राचीन ग्रंथ ‘सुश्रुतसंहिता’ में कुछ ऐसे आहार बताए गए हैं, जिनमें पिपली का उपयोग किया जाता है। भारत में पिपली जंगली पौधों से मिलती है। इसके पौधे असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, चेरापूंजी आदि इलाकों में खूब उगते हैं।

इसमें पाए जाने वाले रसायनिक संघटक मुंह में अधिक लार पैदा करने, सुन्न करने और मुंह की श्लेष्मा झिल्ली में चरपरेपन का संवेदन पैदा करने के गुण हैं। इसका उपयोग श्वासनली के रोगों, मांसपेशियों में दर्द और सूजन रोकने के अलावा बलवर्धक दवाओं में किया जाता है। फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि जिस तरह हजारों साल पहले भारत से काली मिर्च दूसरे देशों में पहुंची, ऐसे ही पिपली भी वहां पहुंची, लेकिन ऐसे देशों की संख्या सीमित थी। यूनानी और मिस्र की सभ्यता में इसे मसाले के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया गया।

च्यवनप्राश में भी होती है पिपली

पिपली खाते वक्त मुंह में ज्यादा लार पैदा करती है। यह काली मिर्च के समान बहुत मशहूर न हो, लेकिन इसमें गुण काली मिर्च से ज्यादा हैं। जो लोग पिपली के गुणों को जानते हैं, वो इसे डाइट में शामिल करते हैं। यह एक मसाला है और इसका इस्तेमाल काली मिर्च, इलायची, दालचीनी के समान भी होता है। शक्तिवर्धक च्यवनप्राश को बनाने में जिन ज़डी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, उनमें पिपली भी शामिल है।

गुणकारी है पिपली

पिपली को शरीर के लिए रामबाण माना जाता है और यह भी कहा जाता है कि जितने भी गरम मसाले हैं, उनमें पिपली उत्तम है। विज्ञान की आधुनिक खोजों ने भी माना है कि पिपली शरीर के लिए गुणों की खान है। रिसर्च बताती हैं कि पिपली में अल्कलॉइड, बीटा साइटोस्टेरॉल, एनाल्जेसिक, एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें ब्लड में ग्लुकोज को कंट्रोल करने की क्षमता है। पिपली में कुछ ऐसे घटक मौजूद हैं जो लिवर की सेहत बनाए रखते हैं। शरीर में कुछ ऐसा विषैला पदार्थ पहुंच गया है जो लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है, तो पिपली उसे न्यूट्रल कर देती है। यह शरीर को पीलिया से भी बचाती है।

बैक्टीरिया खत्म करने की है क्षमता

पिपली में बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता है। इसमें एंटी-अमीबिक गुण पाए जाते हैं, जो पेट में पैदा होने वाले जीवाणुओं को क्षतिग्रस्त करते हैं। इसमें शरीर में फैट को कम करने की भी क्षमता है। मस्तिष्क और शरीर के अंगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का प्रवाह बनाए रखने में मदद करती है, इसके चलते शरीर में ब्लड का प्रेशर नॉर्मल बना रहता है।

कब्ज दूर भगाए, पेट रखे साफ

कब्ज की परेशानी में पिपली को कारगर माना जाता है। पिपली खाने से कब्जियत दूर होती है और पेट साफ होता है। यह औषधि डाइजेस्टिव एजेंट की तरह काम करती है, जिससे खाने को सही से पचाने में मदद मिलती है।

  • मलेरिया के इलाज में काम आएः पिपली में एंटी मलेरिया गुण पाए जाते हैं, जो मलेरिया से बचाव और इसके असर को कम करते हैं।
  • बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाएः जर्नल ऑफ एक्यूपंचर एंड मरीडियन स्टडीज के एक शोध के अनुसार, पिपली के एंटीमाइक्रोबियल गुण कॉलेरा जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करे हैं।
  • खांसी में राहत देः पिपली चूर्ण खाने से खांसी में आराम मिलता है। इसमें मौजूद एंटीट्यूसिव असर, जो खांसी से बचाने और राहत दिलाने का काम कर सकते हैं।
  • डाइजेशन सिस्टम दुरुस्त रखेः पिपली में पाए जाने वाले डाइजेस्टिव गुण फायदेमंद होते हैं। पिपली की डाइजेस्टिव प्रॉपर्टीज खाने को सही से पचाने में मदद करती हैं, जिससे अपच की समस्या से राहत मिलती है।
  • दांत दर्द में दे आरामः पिपली में पिपराइन नाम का एल्कलॉइड पाया जाता है, जो खांसी, बुखार और सिरदर्द के साथ दांत दर्द को सही करता है। पिपली के फायदे दांत दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • लूज मोशन रोकेः पिपली लूज मोशन में फायदेमंद है। एक मेडिकल शोध से पता चलता है कि पिपली के मुख्य घटक पिपराइन में एंटीडायरियल गुण पाया जाता है। एंटीडायरियल गुण दस्त कंट्रोल करने का काम करता है। डायरिया होने पर पिपली का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है।
  • अस्थमा में कारगरः पिपली का इस्तेमाल ब्रोन्कियल अस्थमा में इस्तेमाल कर सकते है। ब्रोन्कियल अस्थमा वो स्थिति है, जिसमें सांस की नली में सूजन आ जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। पिपली एंटीइंफ्लेमेटरी गुण इस समस्या में फायदा पहुंचाते हैं।
  • आंत की क्षमता को बढ़ाएः पिपली में डाइजेस्टिव गुण होता है , जो खाने को पचाने में मदद करते हैं। इस गुण के कारण आंतों की परत में कुछ बदलाव हो सकता है, जिससे कि पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा मिलता है।

पिपली खाने के नुकसान

पिपली को सीमित मात्रा में लेना सुरक्षित माना जाता है। पिपली के इस्तेमाल से आंखों, हाथों, पैरों में जलन हो या दिल में दर्द, सिरदर्द हो तो इसका उपयोग करना तुरंत बंद कर दें। गर्भवती महिलाएं इसके इस्तेमाल से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें। पिपली को डाइट में शामिल करने से पहले इसकी उचित मात्रा के बारे में जानना जरूरी है। पिपली के गुण शारीरिक परेशानियों के असर को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह किसी भी बीमारी का ट्रीटमेंट नहीं है इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह करें।

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