अमेरिका देगा भारतीयों को नौकरी, H1 वीजा का मिलेगा फायदा, सेना-इंटेलिजेंस में होगी भर्ती

नई दिल्ली- जहां एक ओर छंटनी का दौर चल रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियां जॉब देने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा रही हैं. मंदी की आहट से दुनियाभर में छंटनी शुरू हो गई है. वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच अमेरिका में भी छंटनी का दौर जारी है. कई बड़ी टेक कंपनियों ने अपने हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अमेरिका में मल्टी नेशनल कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अमेजन और ट्विटर से लगभग 70 हजार भारतीय टेक्नोक्रेटस को छंटनी का शिकार होना पड़ा है. इनमें से अधिकांश भारतीय टेक्नोक्रेटस एच1 बी और एल1 वीजा पर अमेरिका में रह रहे थे. जिसका सीधा मतलब है कि अगर 60 दिन में दूसरा जॉब नहीं मिला तो इन्हें अमेरिका से जाना पड़ेगा.

H-1B वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को नियोजित करने की अनुमति देता है. अमेरिका में जिन लोगों को नौकरी से बाहर किया गया है, उसमें बड़ी संख्या में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स भी हैं. वे H-1B वीजा पर देश में रह रहे हैं. अब देश में रहने के लिए उन्हें वीजा नियमों के आधार पर तय समय-सीमा के अंदर नई नौकरी खोजना होगा, जो एक चुनौती भरा काम है. लेकिन छंटनी के इस दौर में भारतीयों के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है.

इन क्षेत्रों में खुलेगी नौकरी की राह

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और इंटेलिजेंस (NSA) ने छंटनी वाले टेक्नोक्रेट्स को जॉब देने की योजना बनाई है. इसके लिए एच1 वीजा की कैटेगरी भी बनाई है. जिसका 22 फरवरी को लॉन्च की गई एच1 वीजा कैटेगरी से छंटनी का शिकार हारतीयों को सबसे ज्यादा फायदा मिलने की संभावना है. बता दें कि अमेरिका में अब तक रक्षा मंत्रालय में अमेरिकी नागरिकों और ग्रीन कार्ड होल्डर्स को ही जॉब दिया जाता था. ये पहली बार है, जब एच1 वीजा कैटेगरी को रक्षा मंत्रालय में काम करने के लिए खोला गया है.

जानिए क्यों उठाया अमेरिका ने ये कदम

माना जा रहा चीन ने एक दशक के दौरान साइअबर इंटेलिजेंस, डिफेंस उपकरणों के निर्माण में अमेरिका को कड़ी चुनौती दी है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और एनएसए में टेक्नोक्रेट्स के 30% पद खाली हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की ले ऑफ कर्मियों से पद भरने की तैयारी है. इसके अलावा अमेरिकी एजुकेशन सिस्टम से पढ़ाई करने वाले 65% छात्र डिग्री कोर्स नहीं करते हैं. ऐसे में स्टेम टेक्नोक्रेट्स का अभाव है. वहीं अमेरिका में 75% प्रवासी भारतीयों के पास स्टेम डिग्री है.

क्या होता है एच-1बी वीजा?

ये एक गैर-प्रवासी वीजा होता है, जो किसी विदेशी नागरिक या कामगार को अमेरिका में काम करने के लिए जारी किया जाता है. जो कंपनियां अमेरिका में हैं, उन्हें ये वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है, जिनकी अमेरिका में कमी हो. इस वीजा को पाने की कुछ शर्तें भी होती हैं. जैसे- कर्मचारी को ग्रेजुएट होने के साथ-साथ किसी एक क्षेत्र में स्पेशियलिटी भी हासिल होनी चाहिए.

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