अक्षय तृतीया – इस बार अक्षय तृतीया पर कई संयोग बन रहे हैं। रोहिणी नक्षत्र व सौभाग्य योग में 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनेगी। तृतीया 22 अप्रैल को तृतीया तिथि सुबह 8:04 से प्रारंभ होकर 23 अप्रैल की सुबह 8:08 तक रहेगी। अक्षय तृतीया के दिन छह शुभ योग बन रहे हैं। जो उस दिन ‘महायोग है। अक्षय तृतीया पर आयुष्मान योग प्रातः काल से लेकर सुबह 9:26 मिनट तक है। उसके बाद से सौभाग्य योग प्रारंभ होगा, जो पूरी रात रहेगा। अक्षय तृतीया पर त्रिपुष्कर योग सुबह 5:49 मिनट से सुबह 7:49 मिनट तक है। रवि योग रात में 11: 24 मिनट से अगली सुबह 5:48 मिनट तक है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रात 11:24 मिनट से अगले दिन सुबह 5:48 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि….
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। इस पावन दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग अवश्य लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है। भगवान की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
अक्षय तृतीया का महत्व
संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ है ‘अंतहीन’। हिंदू धर्मग्रंथों में अक्षय तृतीया के कई संदर्भ मिलते हैं। इस पर्व का हिन्दुओं में विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। एक और मान्यता के अनुसार भगवान गणेश ने इस दिन महाकाव्य ‘महाभारत’ की रचना आरंभ की थी। अक्षय तृतीया के दिन, भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को दैवीय रूप से समृद्धि और धन का पुरस्कार भी दिया था।
यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में भी प्रचलित है। इसी इन पवित्र नदी गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इन सभी कारणों से अक्षय तृतीया का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। इस पावन दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जा सकतें हैं।इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के पावन दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन पितृ संबंधित कार्य करना भी शुभ रहता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान- पुण्य करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है। अक्षय तृतीया के पावन दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने की खरीददारी करने से घर में सुख- समृद्धि आती है।
गंगा जल से करें स्नान
मान्यता के अनुसार इस दिन यदि आप व्रत करते हैं तो प्रातः जल्दी उठकर स्नादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए यदि आप व्रत करते हैं तो पवित्र गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। यदि आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो आपको घर में साधारण पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
माता लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करें
अक्षय तृतीया के दिन स्वयं स्नान करने के बाद आप घर के मंदिर में विष्णु जी को गंगाजल से शुद्ध करके उन्हें तुलसी दल अर्पित करें, सफ़ेद या पीले फूल की माला अर्पित करें। माता लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएं या लाल गुलाब भी चढ़ा सकते हैं। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के समक्ष धूपबत्ती जलाएं और पीले आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान आप देवी देवताओं को केला, नारियल, पान, सुपारी एवं मिठाई चढ़ाएं। माता लक्ष्मी और विष्णु जी की आरती उतारें। पूजा समाप्त होने पर भगवान को प्रणाम करें एवं उनका आशीर्वाद लें और प्रसाद सभी में बांट दें। इस दिन गरीबों को खाना खिलाना या दान देना अत्यंत पुण्य-फलदायी माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन क्या खरीदें
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का प्रावधान है। इस दिन सोना खरीदना काफी शुभदायक और फलदायी होता है। इससे घर में सुख समृद्धि की अपार वृद्धि होती है। लेकिन सोना खरीदना सभी के लिए संभव नहीं है, इसलिए जो व्यक्ति सोना, चांदी आदि खरीदने में असमर्थ हैं वो जौ खरीद सकते हैं एवं भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की इससे पूजा कर सकते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद जौ को एक लाल कपड़े में बांधकर घर की तिजोरी या पैसे वाले स्थान में रख लें। इससे आपके धन धान्य में वृद्धि होगी।
दान का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के दिन दान आदि करना और भी अधिक फलदायी माना जाता है। इस दिन दान करने से व्यक्ति को पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। इस दिन घड़ी, कलश, चीनी, पंखे, छाते, चावल, दाल, अन्न, वस्त्र या फल आदि किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इस प्रकार अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान पुण्य और पूजा पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन पूरे दिन माता लक्ष्मी और विष्णु जी का आह्वाहन विशेष लाभ दिला सकता है।