पुणे- पुणे से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। यहां एक चार मंजिला आवासीय संपत्ति पिछले एक साल में लगभग 20 बार खरीदी, बेची और गिरवी रखी गई थी। जिसकी जानकारी उसके असली मालिक को नहीं थी।
पुणे के कोंढवा इलाके में यह इमारत चार महिलाओं किरण चड्ढा, सुमन खंडगले, नीरू गुप्ता और अंजलि गुप्ता के स्वामित्व में है। इन चारों महिलाओं ने मिलकर इस संपत्ति को 1994 में खरीदा था। इन लोगों वे 2005 में संपत्ति का पुनर्विकास किया और चार मंजिला आवासीय भवन का निर्माण कराया। जिसका नाम उन्होंने ‘नंदनवन’ रखा। पिछले साल मई में उन्होंने इस इमारत को बेचने के लिए कुछ रियल एस्टेट एजेंटों से संपर्क किया और उनके साथ अपनी संपत्ति के दस्तावेज साझा किए।यहीं से कहानी शुरू होती है, जो नकली खरीदारों और विक्रेताओं और जाली आधार कार्ड से जुड़े धोखे और धोखाधड़ी के से जुड़ी हुई है।पुलिस को दिए अपने बयान में मालिकों ने कहा कि संभावित खरीदार रियल-एस्टेट एजेंट और बैंक अधिकारी होने का दावा करने वाले लगभग 100 लोगों ने अपनी संपत्ति को बिक्री के लिए रखने के बाद के हफ्तों में उनसे मुलाकात की।
धोखाधड़ी के सौदे..
कथित धोखेबाजों ने तीन अलग-अलग बंधक कार्यों के लिए सरकारी स्टांप शुल्क के लिए कम से कम 18.72 लाख रुपये और पंजीकरण शुल्क में 90,000 रुपये का भुगतान किया। तीन बंधक विलेखों में से दो ‘विशाल गोर्डे’ के नाम हैं, जिन्होंने अलग-अलग लेनदेन में इमारत में दो मंजिलें खरीदी और एक-एक मंजिल बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉसमॉस बैंक को गिरवी रखी।गोर्डे ने इमारत की पहली मंजिल 96 लाख रुपये में 24 फरवरी को खरीदी और अपना नाम पंजीकृत कराया। वह इसे कॉसमॉस बैंक को 69.87 लाख रुपये में गिरवी रखने में कामयाब रहा। उन्होंने 1.2 करोड़ रुपये में एक और मंजिल खरीदी और बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 96 लाख रुपये का कर्ज लिया।
पुलिस पता नहीं लगा पायी…
तीसरा बंधक विलेख अनिल अग्रवाल और सुनीता अनिल अग्रवाल नाम के एक जोड़े ने दर्ज किया था। जिन्होंने अपने पंजीकरण पत्रों के अनुसार, एक मंजिल को 96 लाख रुपये में खरीदा था और इसके लिए 70 लाख रुपये का ऋण कॉसमॉस बैंक से लिया था। वहीं पुलिस अब तक विशाल गोर्डे और अग्रवाल का पता नहीं लगा पाई है।
कॉसमॉस बैंक के अध्यक्ष मिलिंद काले ने बताया, ‘हमारे बैंक को धोखा दिया गया है। हमारी सतर्कता टीम को यह धोखाधड़ी मिली और हमने संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी। ऐसा लगता है कि डमी मालिकों और धोखाधड़ी करने वाले खरीदारों सहित रैकेटियों का एक समूह है, जिन्होंने बैंक को संपत्ति गिरवी रखी है और अब उनका पता नहीं चल रहा है।’
इस संपत्ति से संबंधित 22 लेनदेन के पंजीकरण दस्तावेज देखे हैं, जो सभी जुलाई 2021 और जुलाई 2022 के बीच किए गए थे। 22 में से दो पंजीकरण एसआरओ हवेली -2, तीन एसआरओ हवेली -3 और 17 में किए गए थे। एसआरओ हवेली-23 एक ही संपत्ति पर लेनदेन पर विभिन्न शहर सर्वेक्षण (सीटीएस) नंबरों का उल्लेख किया गया है।