चीन से बार-बार भारत पर होने वाले साइबर अटैक ने कई सवाल खड़े किए हैं. सरकार ने मंत्रालयों और पीएसयूएस के लिए एसओपी जारी की है, लेकिन लोगों के उदासीन रवैये की वजह से इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है.
भारत और चीन के सैनिकों की 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर झड़प हुई. चीन की तरफ से अक्सर सीमाओं पर घुसपैठ की कार्रवाई जारी रहती है. इसके साथ ही ड्रैगन का ये देश भारत में इंटरनेट व्यवस्था को ठप करने के लिए साइबर हमलों को भी अंजाम देता रहा है. हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान- एम्स का सर्वर हैक कर लिया गया था. जांच में पता चला था कि ये चीन की साजिश थी. उसने इस संस्थान के अहम लोगों के डेटा को डार्कवेब पर डाल दिया था.
चीन की इस मुर्खता को देखते हुए भारत भी चौकन्ना हो गया है. इस तरह के साइबर हमलों का मुकाबला करने के लिए उसने अपने मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर यूनिट के कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल- एसओपी (Standard Operating Protocol- SOP) जारी किया है. इसको न मानने वाले कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का फरमान भी जारी किया गया है. आखिर ये एसओपी क्या है और इसे जारी करने की क्या जरूरत आन पड़ी इस बारे में यहां बात करेंगे.
क्या है एसओपी?
स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल यानी मानक संचालन प्रोटोकॉल का मतलब किसी काम को करने के मानक या मान्यता प्राप्त तरीकों से हैं. लगातार चीन के साइबर हमलों का सामना कर रहे भारत ने ये एसओपी इंटरनेट और कंप्यूटर के इस्तेमाल के सही या मानक तरीकों को लेकर जारी की है. केंद्र सरकार ने बड़े नुकसान से बचने के लिए अपने पक्ष को मजबूत करने और कड़ी निगरानी के लिए इस तरह के कदम उठाए हैं.