Hindu Worship Rules: हर व्यक्ति अपने कल्याण की कामना लिए हुए अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा प्रतिदिन करता है, लेकिन कई बार कुछ लोगों की शिकायत होती कि खूब पूजा करने के बाद भी उन पर ईश्वरीय कृपा नहीं बरस रही है. यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है और सुबह-शाम पूजा करने के बाद भी आपके जीवन से जुड़े कष्ट दूर और मनोकामना नहीं पूरी हो रही है तो आपको ईश्वर की से जुड़े उन सभी नियमों के बारे में जरूर जानना चाहिए, जिसका पालन करने पर आपको अपने आराध्य का आशीर्वाद शीघ्र ही प्राप्त होता है. आइए हिंदू धर्म में ईश्वर की पूजा से जुड़े सभी जरूरी नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
- ईश्वर की पूजा हमेशा ईशान कोण में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ समर्पण के साथ करना चाहिए.
- हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी भी देवी-देवता की पूजा का सबसे पहला नियम है कि उस पूजा को बगैर किसी बाधा के संपूर्ण और सफल बनाने के लिए गणपति की साधना-आराधना की जाती है.
- सनातन परंपरा के अनुसार किसी भी देवी-देवता की पूजा कभी भी काले कपड़े पहनकर नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि काले वस्त्र से मन में नकारात्मक भाव आता है.
- हिंदू धर्म में ईश्वर की पूजा में दीपक जलाने के कई जरूर नियम बताए गए हैं. जैसे कभी भी खंडित दीया नहीं जलाना चाहिए. इसी प्रकार पूजा में करते समय दो दीपक एक साथ नहीं जलाना चाहिए. तेल और घी का दीया तो भूलकर भी एकसाथ न जलाना चाहिए.
5. भगवान विष्णु, श्री कृष्ण, ठाकुर जी, हनुमान जी को हमेशा भोग लगाते समय तुलसी दल अवश्य चढ़ाना चाहिए, लेकिन तुलसी दल को कभी भी शाम के समय और रविवार, मंगलवार और एकादशी के दिन नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसे में तुलसी जी को एक दिन पहले तोड़कर रख लेना चाहिए.
6. मंदिर या फिर घर में पूजा करते समय कभी भी ईश्वर की उलटी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं, जिनकी सिर्फ आधी परिक्रमा का विधान है. ऐसे में उनकी आधी परिक्रमा करने के बाद वापस हो जाना चाहिए.
7. हनुमान जी की पूजा करते समय स्त्रियों को उनकी मूर्ति का स्पर्श बिल्कुल नहीं करना चाहिए. हनुमान जी को सिंदूर भी स्त्रियों को किसी पुजारी या किसी पुरुष के माध्यम से हनुमान जी को अर्पित करना चाहिए.
8. हिंदू मान्यता के अनुसार रात्रि के समय ईश्वर की पूजा करते समय पूजा में घंटी और शंख नहीं बाजाना चाहिए.
9. धार्मिक मान्यता के अनुसार घर हो या मंदिर सायंकाल के समय पूजा करने के बाद पूजा स्थान पर परदा डाल देना चाहिए और प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद ही ईश्वर की पूजा के समय उस परदे को हटाना चाहिए.
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10. ईश्वर की पूजा का पूरा फल पाने के लिए हमेशा उनकी साधना-आराधना पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ समर्पण के साथ करना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)