अभी आप किसी खास हलवाई की समोसे, जलेबी, खस्ता कचौड़ी का खूब लुत्फ उठाते होंगे। आने वाले दिनों में आप ऐसा शायद ही कर पाएं। क्योंकि बाजार में बिकने वाले सभी तरह के मिठाई और नमकीन जैसे खाद्य पदार्थों का मानकीकरण किया जा रहा है। इनकी स्टार रेटिंग की जाएगी। तब सभी हलवाई की वस्तुओं का एक ही स्वाद होगा। मतलब कि किसी हलवाई का कोई विशेषज्ञता नहीं रहेगा। इसलिए मिठाई नमकीन बनाने वालों की संस्था फेडरेशन ऑफ स्टीट्स एंड नमकीन मैन्यूफैक्चरर्स इसका विरोध कर रही है।
क्या चाहती है सरकार?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करने वाला संगठन एफएसएसएआई ने बीते 13 सितंबर को एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें मिठाई और नमकीन जैसे खाद्य पदार्थों में ज्यादा फैट, ज्यादा नमक और ज्यादा सुगर को नियंत्रित करने के लिए प्रोडक्ट के मानकीकरण का सुझाव है। इसके साथ ही खाने-पीने की वस्तुओं के सामने वाले हिस्से में न्यूट्रिशनल लेबलिंग भी करने की योजना है। इसके तहत इन खाने पीने की वस्तुओं को स्टार दिए जाएंगे। ताकि लोग पैक देख कर ही समझ लें कि यह खाना सेहत के लिए ठीक है या नहीं।
इस निर्णय पर हलवाई जाता रहे विरोध
देश भर के मिठाई और नमकीन बनाने वाले इस के इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि अभी किसी हलवाई की मिठाई हो या समोसा हो या छोले-भठूरे इसलिए फेमस होता है क्योंकि उसकी रेसिपी कुछ अनूठी होती है। जब सारे प्रोडक्ट का मानकीकरण हो जाएगा तो सभी हलवाई को इसे मानना होगा। तब समोसे में नाप-तौल कर ही नमक, तेल और मसाले डालने होंगे। सभी में ये सामग्री समान होगी। तब सदर या चौक की किसी फेमस हलवाई की क्या स्पेशयलिटी रह जाएगी?
भारत है विविधताओं का देश और मिठाई की मिठास
फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्यूफैक्चरर्स के अध्यक्ष वीरेंदर कुमार जैन का कहना है कि एफएसएसएआई की यह कोशिश ठीक नहीं है। भारत विविधताओं का देश है। यहां इलाका बदलते ही स्नैक्स या नमकीन और मिठाई के स्वाद बदल जाते हैं। कहीं लोग कम नमक खाने के आदि होते हैं तो कहीं ज्यादा। इसी तरह कहीं व्यंजनों में खूब मिर्ची होती है तो कहीं साधारण मिर्ची। किसी इलाके में बनने वाली मिठाई ज्यादा मीठी होती है तो कहीं की कम मीठी। इसका मानकीकरण कर देंगे तो फिर क्षेत्रीय विविधिता का क्या होगा?
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इस कारोबार से लाखो लोगो को मिलता हैं रोजगार
मुंबई मुख्यालय वाले फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्यूफैक्चरर्स के डाइरेक्टर फिरोज एच. नकवी का कहना है कि भारत में मिठाई एवं नमकीन का बाजार करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का है। इसमें संगठित क्षेत्र का हिस्सा कम है और छोटे-छोटे दुकानदार या हलवाइयों की संख्या ज्यादा है। हर हवलाई चार-पांच लोगों को आराम से रोजगार दे रहा है। इस तरह से 10 लाख से भी ज्यादा लोगों को तो इस क्षेत्र में सीधे रोजगार मिलता है। इसके अलावा तेल-घी, बेसन, चीनी, मसाला, पनीर, खोया, दूध आदि का भी मिठाई और नमकीन बनाने वाले खूब यूज करते हैं। यदि इन क्षेत्रों में भी काम करने वालों को जोड़ दिया जाए तो करीब दो करोड़ लोग इससे जुड़े हैं।