पंचांग प्रणाली प्रत्येक वर्ष को एक विशिष्ट नाम देकर , उस वर्ष मे हौने वाली घटनाओं के संकेत देते है

पंचांग प्रणाली प्रत्येक वर्ष को एक विशिष्ट नाम देकर , उस वर्ष मे हौने वाली घटनाओं के संकेत देते है ! ये वर्ष को क्या नाम दिया और उसके क्या संकेत है ,जानियें…

‘संवत्सर’ संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ‘वर्ष’ होता है, हिन्दू पंचांग में 60 संवत्सर होते हैं। – 60 संवत्सरों के नाम तथा क्रम इस प्रकार हैं

(1) प्रभव, (2) विभव, (3) शुक्ल, (4) प्रमोद, (5) प्रजापति, (6) अंगिरा, (7) श्रीमुख,(8) भाव,(9) युवा, (10) धाता, (11) ईश्वर,12) बहुधान्य, (13) प्रमाथी, (14) विक्रम, (15) विषु, (16) चित्रभानु, (17) स्वभानु, (18) तारण, (19) पार्थिव, (20) व्यय, ( 21 ) सर्वजित्, (22) सर्वधारी, (23) विरोधी, (24) विकृति, (25) खर, (26) नंदन, (27) विजय, (28) जय, (29) मन्मथ, (30) दुर्मुख, ( 31 ) हेमलम्ब, ( 32 ) विलम्ब 33) विकारी, (34) शर्वरी, (35) प्लव, ( 36 ) शुभकृत्, (37) शोभन, (38) क्रोधी,(39) विश्वावसु, (40) पराभव, (41) प्लवंग, (42) कीलक,(43) सौम्य, (44) साधारण, (45) विरोधकृत्, (46) परिधावी, (47) प्रमादी, (48) आनन्द, (49) राक्षस, (50) नल,(51) पिंगल, ( 52 ) काल, ( 53 ) सिद्धार्थ (54) रौद्रि, (55) दुर्मति, (56) दुंदुभि, (57) रुधिरोद्गारी, (58) रक्ताक्ष, (59) क्रोधन और (60) अक्षय

वर्ष 2019-20 का नाम ‘विकारी’ रखा गया, जो एक ‘बीमारी वर्ष बनकर अपने नाम पर खरा उतरा! कोविड की शुरुआत 2019 से हुई।वर्ष 2020-21 का नाम शर्वरी रखा गया जिसका अर्थ है अंधेरा, और इसने दुनिया को एक अंधेरे चरण में धकेल दिया!

अब ‘प्लावा’ वर्ष 2021-22 चल रहा है। ‘प्लावा’ का अर्थ है, “पार करा देने वाला।वराह संहिता कहती है, यह दुनिया को असहनीय कठिनाइयों के पार ले जाएगा और हमें एक अच्छी स्थिति तक पहुंचाएगा  यानी अंधेरे से प्रकाश की ओर चलने का यह समय चल रहा | वर्ष 2022-23 का नाम ‘शुभकृत’ रखा गया है, जिसका अर्थ है कि जो शुभता पैदा करता है।

अर्थात् अब आगे एक ओर अधिक अच्छे कल का हमे संकेत दे रहे हैं हमारे पंचाग !

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