26 सितंबर से देवी आराधना का पर्व शुरू होने वाला है। इसके पहले ही दिन कलश (घट) स्थापना होती है। साथ में अखंड ज्योति और जवारे यानी धान बोने की भी परंपरा है। इसके लिए घर को शुद्ध करने और जरूरी चीजें जुटाने के लिए 24 और 25 सितंबर को शुभ मुहूर्त रहेंगे। इनमें देवी आराधना में इस्तेमाल होने वाली चीजें और हर तरह की खरीदारी की जा सकती है।
24 सितंबर को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के साथ ही शुभ और बुधादित्य योग रहेगा। इस संयोग में मिट्टी का कलश, दीपक, अनाज और सोलह श्रृंगार की चीजें खरीदना शुभ रहेगा। इस दिन घर को सजाने के लिए वंदनवार और रंगोली के लिए जरूरी सामान ले सकते हैं।25 तारीख को सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, हंस और बुधादित्य योग में पूरे घर को शुद्ध करने और स्थापना की तैयारी के लिए बेहद शुभ दिन रहेगा। इसलिए जहां कलश स्थापना और देवी की चौकी बैठाना हो, उस जगह रविवार (25 सितंबर) को गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें। फिर वहां लकड़ी का पाटा (बाजोट या पटिया) रख दें। अगले दिन स्थापना करें।
शक्ति पर्व से पहले ही नाखून, बाल और दाढ़ी कटवा लेनी चाहिए, क्योंकि स्मृति ग्रंथ और पुराणों में कहा गया है कि नवरात्रि में ये सब नहीं किया जाता। इससे आराधना खंडित हो जाती है। व्रत और उपवास के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि नवरात्रि से पहले ही गृहस्थ लोगों को दो दिनों में लहसुन-प्याज और तामसिक चीजें छोड़ देनी चाहिए। साथ ही हल्का खाना खाएं, जिससे शरीर नौ दिनों तक व्रत-उपवास के लिए तैयार हो जाए।
देवी आराधना के नौ जरूरी हिस्से होते हैं
कलश स्थापना, देवी की चौकी बैठाना, पूजा करना और अखंड दीपक जलाना, दुर्गा सप्तशती पाठ, व्रत-उपवास, हवन, कन्या पूजन, ब्राह्मण भोजन और आखिरी में क्षमा प्रार्थना होती है।देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा में अलग-अलग प्रसाद चढ़ता है। इसलिए इनके लिए गाय का घी, शक्कर, शहद, तिल, गुड़, सेब, अनार, केला, नाशपाती, अंगूर, चीकू, अमरूद और नारियल खरीद लेने चाहिए।
देवी के 16 श्रृंगार
सिन्दूर, बिन्दी, टीका, झुमके, नथ, काजल, मंगलसूत्र, लाल चूनर, इत्र, मेहंदी, बाजूबन्द, चूड़ी, हाथफूल, कमरबन्द, पायल और बिछिया
इस बार हाथी है देवी की सवारी
इस बार नवरात्रि के पहले दिन सोमवार और आखिरी दिन बुधवार रहेगा। इस कारण देवी हाथी पर सवार होकर आएंगी और इसी सवारी पर वापस जाएंगी। वैसे तो देवी का वाहन शेर ही है, लेकिन हर नवरात्रि मां दुर्गा धरती पर अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं। जिनका और शुभ-अशुभ फल भी ग्रंथों में बताया गया है।
देवी भागवत के अनुसार माता जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार आने वाले पूरे साल की घटनाओं का भी अंदाजा लगाया जाता है। देवी का वाहन हाथी होना शुभ रहता है। ऐसा होने से साल भर पानी ज्यादा बरसता है। मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। जिसकी वजह से देश के लोगों के सुखों और ज्ञान में वृद्धि होगी, यह समृद्धि का सूचक है। इससे सुख बढ़ेगा। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसलिए ये नवरात्रि शुभ रहेगी।