Indian Railway: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अब एक बड़ा ऐलान कर दिया है. रेल मंत्री ने कहा है कि रेलवे ने पहिया कारखाना लगाने के लिए निविदा जारी की है जहां हर साल कम से कम 80,000 पहियों का विनिर्माण किया जाएगा. साथ ही रेल पहियों का निर्यातक बनने के लिए खाका तैयार किया गया है. वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने पहली बार रेल पहिया संयंत्र लगाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया है. इस ‘मेक इन इंडिया’ संयंत्र में तेज रफ्तार वाली ट्रेनों और यात्री कोचों के लिए पहिये बनाए जाएंगे. हर साल यहां बनने वाले 80,000 पहियों की 600 करोड़ रुपये मूल्य में सुनिश्चित खरीद की जाएगी.
निविदा इसी शर्त पर दी जाएगी कि इस संयंत्र में बनने वाले रेल पहियों का निर्यात भी किया जाएगा और यह निर्यात यूरोपीय बाजार को किया जाएगा. निविदा में यह प्रावधान भी किया गया है कि संयंत्र को 18 महीनों के भीतर स्थापित कर लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब रेलवे ने पहिये के विनिर्माण के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने वाली निविदा (टेंडर) जारी की है. भारतीय रेल को हर साल दो लाख पहियों की जरूरत है. इस योजना के मुताबिक, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जहां एक लाख पहियों का विनिर्माण करेगी, वहीं बाकी एक लाख पहिये इस नए ‘मेक इन इंडिया’ संयंत्र में बनाए जाएंगे.
पहियों का निर्यात
वैष्णव ने बताया कि यह निविदा इसी शर्त पर दी जाएगी कि इस संयंत्र में बनने वाले रेल पहियों का निर्यात भी किया जाएगा और यह निर्यात यूरोपीय बाजार को किया जाएगा. निविदा में यह प्रावधान भी किया गया है कि संयंत्र को 18 महीनों के भीतर स्थापित कर लिया जाएगा. फिलहाल रेलवे बड़े पैमाने पर यूक्रेन, जर्मनी और चेक गणराज्य से पहिये आयात करता है. लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से पहियों की खरीद अटक गई है और रेलवे को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
विनिर्माण का फैसला
रेल मंत्री ने कहा, “आज यह निविदा जारी की गई है. हम 1960 से ही यूरोपीय देशों से पहियों का आयात करते रहे हैं. अब हमने इनका विनिर्माण और निर्यात करने का फैसला किया है.” उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरे तकनीकी विश्लेषण और इसके लिए जरूरी कच्चे माल की देश में उपलब्धता जैसे बिंदुओं पर चर्चा के बाद लिया गया है. रेल अधिकारियों ने अनुमान जताया कि घरेलू स्तर पर रेल पहिये बनने से रेलवे को काफी बचत होने की उम्मीद है क्योंकि उसे एक पहिये के आयात पर 70,000 रुपये का भुगतान करना होता है.
उच्च क्षमता वाली पटरियां बनाई जाएंगी
वैष्णव ने कहा कि भारत ने माल ढुलाई के लिये बनाये गये गलियारा और बुलेट ट्रेन के लिए उच्च क्षमता वाली पटरियों (रेल) का आयात किया था लेकिन अब देश में ही इन्हें बनाने के लिए एक समझौता होने वाला है. उन्होंने कहा, “इस मेक इन इंडिया समझौते के तहत देश के भीतर ही उच्च क्षमता वाली पटरियां बनाई जाएंगी.” रेलवे ने मई में वंदे भारत ट्रेनों के लिए 39,000 पहियों की आपूर्ति का 170 करोड़ रुपये का ठेका चीन की एक कंपनी को दिया था.