यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) की तरफ से नई गाइडलाइन में स्टूडेंट्स को काफी सहूलियतें दी गई हैं. ऐसे में आइए गाइडलाइन के बारे में जाना जाए.
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए नए गाइडलाइन के तहत अब देश के सभी हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट में सभी कोर्स की पढ़ाई की जा सकेगी. नई गाइडलाइन के तहत एक ही क्षेत्र में पढ़ाई करवाने वाले इंस्टीट्यूट मिलकर स्टूडेंट्स को डिग्री दे सकेंगे. उदाहरण के लिए मैनेजमेंट, एजुकेशन, लॉ, इंजीनियरिंग के संस्थान एक-साथ आकर स्टूडेंट को डिग्री दे पाएंगे. स्टूडेंट्स के पास मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का ऑप्शन भी होगा. इसके तहत एक कोर्स में कई बार एनरॉल होने का मौका मिलेगा.
वहीं, कोर्स को छोड़ने और फिर उसी कोर्स को फिर से पढ़ने की सहूलियत भी नई गाइडलाइन में स्टूडेंट्स को दी गई है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि स्टूडेंट्स को मल्टीपल मोड में पढ़ाई करने की सुविधा भी होगी. इसका मतलब ये है कि स्टूडेंट्स क्लासरूम में टीचर के साथ पढ़ाई करने के अलावा, डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन मोड में अन्य कोर्स भी कर सकेंगे. ये सभी काम एक ही साथ किए जा सकेंगे. नई गाइडलाइन के तहत स्टूडेंट्स के पास डुअल कोर्स का भी ऑप्शन है. हालांकि, वे सिर्फ दो मान्य कोर्स को ही एक साथ पढ़ सकते हैं.
तीन मोड में पढ़ाई का मिलेगा ऑप्शन
नई गाइडलाइन के तहत अब हर इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स को ओरिएंटेशन दिया जाएगा. साथ ही काउंसलिंग की व्यवस्था भी की जाएगी. यूजीसी ने सभी राज्य सरकारों और यूनिवर्सिटीज को कहा है कि नई गाइडलाइन को लागू करने के लिए वे अपने यहां पर नियम बनाएं. उन्हें इसी अकेडमिक ईयर से ही नए नियमों को लागू करने का ऑप्शन भी दिया गया है. नई गाइडलाइन के तहत स्टूडेंट्स के पास पढ़ने के लिए तीन मोड चुनने की आजादी होगी. इसके तहत वह हर सेमेस्टर में फेस-टू-फेस क्लासरूम, ऑनलाइन कोर्स या डिस्टेंस लर्निंग में से किसी एक ऑप्शन को चुन सकता है.
गाइडलाइन में अन्य प्रमुख बातें क्या हैं?
यूजीसी की नई गाइडलाइन के तहत देश में तीन तरह के संस्थान होने वाले हैं. इसमें रिसर्च यूनिवर्सिटी, टीचिंग यूनिवर्सिटी और ऑटोनॉमस कॉलेज शामिल है. अगर किसी कॉलेज में तीन हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, तो कॉलेज अपने लेवल पर उन्हें डिग्री भी दे सकता है. इसके अलावा, उनके पास अन्य विषयों के डिपार्टमेंट खोलकर ऑटोनॉमस कॉलेज का दर्जा हासिल करने का मौका भी होगा. तीन हजार से कम स्टूडेंट्स होने पर कॉलेज अन्य कॉलेजों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं.
स्टूडेंट्स के लिए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का ऑप्शन लेकर आया गया है. इस अकाउंट को हर स्टूडेंट को ओपन करवाना होगा, ताकि उनके द्वारा पढ़े गए सब्जेक्ट के नंबर 7 सालों तक सुरक्षित रह सकें. वहीं, अगर किसी स्टूडेंट ने सिर्फ एक साल की पढ़ाई पूरी कर ली और वह आगे की पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहता है, तो उसे संबंधित विषय में सर्टिफिकेट दिया जाएगा. दो साल तक पढ़ाई करने पर डिप्लोमा, जबकि तीन साल होने पर डिग्री दी जाएगी. इसके अलावा, चार साल पूरा होने पर ऑनर्स या डुअल डिग्री का प्रावधान किया गया है.