हल्के में ना लें गाली गलौच और धमकियों को
अक्सर विवाद होने की स्थिति में लोग बात बात पर गाली गलौच और अभद्रता करना शुरू कर देते हैं. जान से मारने या देख लेने की धमकी देते हैं लेकिन ये मानें कि कानून की नजर में ऐसे मामलों का कोई मतलब नहीं है बल्कि कानून की कई धाराएं ऐसे मामलों को बहुत गंभीरता से लेती हैं. इन्हें संगीन जुर्म ही नहीं माना जाता बल्कि जेल की सजा भी हो सकती है.
हाल ही में हमने नोएडा की दो सोसायटी में गाली गलौच के मामले देखे हैं. इसके बाद दोनों ही मामलों में आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा. इन मामलों ने काफी तूल भी पकड़ा. हमारे रोजाना के जीवन में गाली-गलौच, अभद्रता, बदसलूकी के बहुत से मामले आसपास देखने को मिलते हैं. कई बार ये इतने बढ़ जाते हैं कि इसमें अप्रिय स्थितियां और बड़ा विवाद पैदा हो जाता है. इन मामलों में धमकियां देना भी आम बात होती है.
अक्सर देखने में आता है कि एक ही कॉलोनी या अपार्टमेंट में रहने वाले लोग विवाद होने पर ना केवल एक दूसरे को गालियां देने लगते हैं बल्कि अपने परिचितों को बुलाकर मारने और मरवाने की धमकियां भी देने लगते हैं.
इस तरह की घटनाओं को या तो नजरंदाज कर दिया जाता है या फिर सुलह समझौते के बाद बात को खत्म करने की कोशिश की जाती है. अगर कानून की नजर से देखें तो अश्लील गालियां देना, बदसलूकी करना और जान से मारने की धमकी देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वालों पर संगीन मुकदमा दर्ज हो सकता है.
क्यों है ये दंडनीय अपराध
ऐसे अपराधों पर सीधे पुलिस थाने से सीआरपीसी की धारा 154 के तहत एफआईआर दर्ज होती है. गाली गलौज करना एक दूसरे को अश्लील गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दंडनीय अपराध है. हालांकि ऐसे ज्यादातर मामलों में सुलह समझौते हो जाते हैं लेकिन धारा 294 राजीनामे के योग्य धारा नहीं होती. इस धारा में दोनों पक्ष राजीनामा भी नहीं कर सकते क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती है बल्कि इससे लोगों को ठेस भी पहुंचती है.
कितनी सजा हो सकती है
इस धारा के तहत आरोपियों को 3 महीने तक की सजा हो सकती है. वैसे इस तरह के मामलों में आरोपियों को किसी प्रकार का जेल का दंड नहीं दिया जाता है बल्कि जुर्माना भरवाया जाता है लेकिन मुकदमा कई वर्षों तक चलता है. आरोपियों को अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है. बकायदा जमानत भी लेनी होती है.
जान से मारने की धमकी देना संगीन अपराध
विवादों में एक दूसरे को जान से मारने की धमकी देना आम बात हो चली है. सार्वजनिक स्थानों पर भी इस तरह की चीजें खूब होती हैं. रोडरेज में भी इस तरह की धमकियां लोग खूब देते हैं. अगर कोई भी इस तरह के विवादों में ऐसी धमकी देता है तो उसके खिलाफ तुरंत रिपोर्ट लिखवाकर कार्रवाई की जा सकती है.
07 साल तक की सजा
जान से मारने की धमकी देना साधारण अपराध समझा जाता है लेकिन ये साधारण अपराध नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 506 स्पष्ट रूप से यह कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा और उस व्यक्ति को 07 वर्ष तक की सजा हो सकती है. इसमें पक्की रिपोर्ट दर्ज होगी. मुकदमा बनाकर संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजा जाएगा. हालांकि ऐसे मामलों में जमानत आसानी से मिल जाती है और फिर मुकदमा चलाया जाता है.