देश में महंगाई से राहत मिलने के संकेत हैं। रिटेल महंगाई के आंकड़ों में करीब 40% हिस्सेदारी रखने वाली कृषि जिंसों मसलन अनाज, तेल-तिलहन और दलहन के भाव 2022 के रिकॉर्ड स्तर से 21% तक घटे हैं। अब तक के रिकॉर्ड हाई लेवल से इनके दाम में 56% से भी ज्यादा गिरावट आ चुकी है। सिर्फ चावल के भाव स्थिर रहे हैं। दरअसल वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका के चलते बीते दो महीनों में दुनियाभर में कमोडिटी के दाम तेजी से घटे हैं। केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक निकट अवधि में गिरावट का मौजूदा ट्रेंड जारी रहेगा। इसका असर अंतत: रिटेल महंगाई पर नजर आएगा। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी की एक रिपोर्ट भी कहती है कि जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ेगा, घरेलू बाजार में कृषि जिंसों की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और सब्जियां भी सस्ती होंगी।
कृषि जिंसों के दाम में हालिया गिरावट के 7 बड़े कारण
- वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका का सेंटिमेंट पर असर।
- दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने से बाजार से अतिरिक्त नकदी हटना।
- माल ढुलाई सस्ती हुई, 23 मई से अब तक फ्रेट इंडेक्स 36% घटा।
- मई के बाद से कच्चे तेल के दाम में गिरावट के रुझान का असर।
- मानसून की बारिश जोर पकड़ने से देश में फसलों की बुआई बढ़ना।
- निर्यात पर अंकुश और खाद्य वस्तुओं का आयात खोलने की नीति।
कमजोर उत्पादन के चलते कम घटे गेहूं के भाव
ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी के मुताबिक, निर्यात पर पाबंदी की वजह से गेहूं के भाव नीचे आए हैं। लेकिन बीते सीजन में कम फसल उतरने के चलते इसमें गिरावट सीमित रही। दूसरी तरफ इंडोनेशिया से पाम ऑयल के निर्यात पर लगी रोक हटने के बाद सप्लाई बढ़ने से खाने के तेल और तिलहन के भाव दबाव में हैं। यूक्रेन से सन फ्लावर ऑयल की सप्लाई बढ़ने का असर भी घरेलू तेल बाजार पर देखा जा रहा है।