मुंबई- महाराष्ट्र के सियासी संकट के तीसरे दिन एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी को उन्होंने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया और कहा कि यह विधायकों की भावना है। पत्र में लिखा गया है कि शिवसेना के विधायकों की बात कभी नहीं सुनी गई और उद्धव के घर के दरवाजे हमेशा उनके लिए बंद रहे। खत में एक और बात को हाईलाइट किया गया। शिंदे ने कहा कि जब हम अयोध्या जा रहे थे, तब हमें रोका गया। जो लोग वहां चले गए थे, उन्हें भी फोनकर वापस बुलाने की बात कही गई।
निचे आज एकनाथ द्वारा जारी की गई नइ चिट्ठी
उद्धव को शिंदे खेमे की ओर से लिखी गई चिट्ठी
कल वर्षा बंगले के दरवाजे सचमुच जनता के लिए खोल दिए गए। बंगले पर भीड़ देखकर खुशी हुई। पिछले ढाई साल से शिवसेना विधायक के तौर पर हमारे लिए ये दरवाजे बंद थे। हमें ऐसे लोग चला रहे थे, जिन्हें लोगों ने नहीं चुना था। ये लोग विधान परिषद और राज्यसभा के माध्यम से आये थे।
ही आहे आमदारांची भावना… pic.twitter.com/U6FxBzp1QG
— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 23, 2022
तथाकथित (चाणक्य लिपिक) बडवे हमें हराने और राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव की रणनीति तय करने का काम कर रहे थे। इसका परिणाम सिर्फ महाराष्ट्र ने देखा है।
शिवसेना विधायक के रूप में हमें वर्षा बंगले तक सीधी पहुंच नहीं मिली। मुख्यमंत्री मंत्रालय की छठी मंजिल पर सभी से मिलते हैं, लेकिन हमारे लिए कोई जगह ही नहीं थी, क्योंकि आप कभी मंत्रालय ही नहीं गए। कई बार निर्वाचन क्षेत्र के काम, अन्य मुद्दों, व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम साहब से मिलने का अनुरोध करने के बाद हमें बुलाया जाता और बंगले के गेट पर घंटों खड़ा रखा जाता। मैंने कई बार सीएम को फोन किया पर फोन रिसीव नहीं होता था। आखिरकार हम ऊब जाते और चले जाते। हमारा सवाल यह है कि अपने ही विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? ऐसे विधायकों से इस तरह का व्यवहार जिन्हें तीन-चार लाख मतदाता चुनते हैं?