नागपुर- सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का रास्ता आसान करने की कोशिश कर रही है. इसी के चलते अगले महीने से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है. बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के आने के बाद सरकारी बैंकों के निजीकरण में रफ्तार आएगी. आपको बता दें कि वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 को पेश करने के दौरान दो सरकारी बैंकों (PSBs) और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव पेश किया था.
खबरों के मुताबिक, इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) ओर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) का निजीकरण हो सकता है. हालांकि, सरकार ने आधिकारिक तौर इन दो बैंकों के नाम की घोषणा की नहीं की है. सरकार का इन दोनों बैंकों में मौजूदा 51 फीसदी हिस्सेदारी को घटाकर 26 फीसदी लाने का प्लान है. यह तभी संभव है जब बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पास हो पाए.
शेयर में आई तेजी
बुधवार के कारोबार में इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) के शेयरों में उछाल आया है. बीएसई पर शेयर 4.10 फीसदी चढ़कर 16.50 रुपए पर पहुंच गया. वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर में 3.59 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है.
कब-कब हुआ बैंकों का मर्जर
केंद्र सरकार ने दो अलग-अलग चरण में सरकारी बैंकों की हालत में सुधार के लिए बैंक कंसोलिडेशन की प्रक्रिया अपनाई. 2019 में 10 सरकारी बैंकों का मर्जर किया गया था. इसके तहत छह कमजोर बैंकों का मर्जर चार बड़े बैंकों में किया गया था. पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) का मर्जर किया गया. इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) का मर्जर इंडियन बैंक (Indian Bank) में किया गया. सिंडीकेट बैंक (Syndicate Bank) का मर्जर केनरा बैंक (Canara Bank) में किया गया. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) में आंध्रा बैंक (Andhra bank) और कॉर्पोरेशन बैंक (Corporation Bank) का मर्जर किया गया था.