देश में कोरोना से 4.83 लाख नहीं, बल्कि 32 लाख लोगो ने जान गंवाई; डेथ सर्टिफिकेट और हॉस्पिटल के आंकड़ों के आधार पर दावा

ई दिल्ली – भारत में 11 जनवरी 2022 तक कोरोना के 3.59 करोड़ मामले और 4.84 लाख मौतें दर्ज की गई हैं। एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना से मौत के ये सरकारी आंकड़े वास्तविकता से बेहद कम हैं। स्टडी के मुताबिक कोरोना के दौरान 32 लाख लोगों की मौत हुई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज मौतों से 7 गुना ज्यादा है। कोरोना की तीसरी लहर के बीच इस स्टडी की खूब चर्चा हो रही है।

ये स्टडी किसने की? स्टडी के लिए आंकड़े कहां से जुटाए गए? स्टडी का तरीका क्या अपनाया गया? स्टडी में और क्या-क्या सामने आया? क्या पहले भी ऐसी कोई स्टडी की गई है? आइए, एक-एक करके सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

दुनिया के चर्चित जर्नल ‘साइंस’ में प्रकाशित हुई स्टडी

ये स्टडी 6 जनवरी 2022 को दुनिया के चर्चित जर्नल ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसका टाइटल है- ‘कोविड मॉर्टैलिटी इन इंडियाः नेशनल सर्वे डेटा एंड हेल्थ फैसिलिटी डेथ्स।’ ये स्टडी यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के प्रोफेसर प्रभात झा के नेतृत्व में इंटरनेशनल रिसर्चर्स की एक टीम ने की है। इसमें यशवंत देशमुख, चिन्मय तुंबे, विल्सन सूरवीर, अदिति भौमिक, संकल्प शर्मा, पॉल नोवोसैड, जी हांग फु, लेस्ली न्यूकॉम्बी, हेलेन जेलबैंड और पैट्रिक ब्राउन शामिल हैं।

स्टडी के लिए दो सरकारी और एक इंडिपेंडेंट सोर्स से लिया डेटा

इस स्टडी के लिए एक इंडिपेंडेंट सोर्स CVoter का सहारा लिया गया है। इसके लिए देश के सभी राज्यों के 1.40 लाख लोगों से टेलिफोनिक बातचीत करके महामारी को ट्रैक किया गया है। इसके अलावा भारत सरकार के अस्पतालों में मौत का डेटा और 10 राज्यों के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम में दर्ज मौत रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों को आधार बनाया गया है।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत ने मौत का तांडव देखा था। अस्पताल भरे हुए थे। ऑक्सीजन के लिए लोग दर-दर भटक रहे थे। उसी दौरान दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में एक ही बेड पर लेटे दो कोरोना संक्रमित।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत ने मौत का तांडव देखा था। अस्पताल भरे हुए थे। ऑक्सीजन के लिए लोग दर-दर भटक रहे थे। उसी दौरान दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में एक ही बेड पर लेटे दो कोरोना संक्रमित।

कोरोना से हुई मौतों के बारे में तीन बड़ी बातें सामने आईं

सर्वे एजेंसी CVoter ने देश के 1.40 लाख लोगों को कॉल किया और कुछ सवाल पूछे। पहला कि क्या उनके घर में मौत हुई है, कब हुई है, ये मौत कोविड की वजह से थी या किसी और वजह से? सभी जवाबों को एक साथ मिलाकर एनालिसिस किया गया। इससे चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

  • जून 2020 से जुलाई 2021 के बीच हुई कुल मौत में 29% मौतें कोरोना की वजह से हुईं। सभी मौतों में जोड़ा जाए तो ये आंकड़ा 32 लाख पहुंचता है। इसमें 27 लाख की मौतें तो सिर्फ अप्रैल 2021 से जुलाई 2021 के दौरान हुई।
  • इसी तरह जब देश के 2 लाख अस्पतालों में कोरोना महामारी से पहले और कोरोना महामारी आने के बाद के मौत के आंकड़े की तुलना की गई तो इसमें 27% की बढ़ोत्तरी देखी गई। ये अंदाजा लगाया कि ये बढ़ी हुई मौतें कोरोना की वजह से हुई होंगी।
  • इसी तरह सरकार के सिविल रजिस्ट्रेशन डेटा को मॉनिटर किया गया। 10 राज्यों में कोरोना महामारी के दौरान मौतों के रजिस्ट्रेशन में 26% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।

इन सभी डेटा का एनालिसिस करके पाया गया कि सितंबर 2021 तक देश में कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा सरकार रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों से 6-7 गुना ज्यादा है।

रिसर्चर का दावाः भारत में बड़े पैमाने पर मौत की अंडर रिपोर्टिंग

6 महीने पहले eLife में एक स्टडी प्रकाशित की थी, जिसमें महामारी के पहले और महामारी के दौरान हुई मौतों का एनालिसिस किया गया। इसमें सामने आया कि कोरोना से हुई मौतें कम गिनने का ट्रेंड पूरी दुनिया में है। रूस में नॉर्मल से 4.5 गुना ज्यादा मौतें हुईं, जो कोरोना की आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं। इसके अलावा ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस और इजिप्ट में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला।

इस स्टडी में शामिल चिन्मय तुंबे ने नवंबर में बिजनेस लाइन को एक इंटरव्यू में बताया था कि पूरी दुनिया में कम केस रिपोर्ट किए गए, लेकिन हमारी रिसर्च ने दिखाया कि भारत में कितना बड़ा अंतर है। रिसर्च में कहा गया है कि अगर हमारी गिनती सही है तो WHO को अपने डेटा में सुधार करना चाहिए जो 1 जनवरी 2022 तक दुनिया भर में सिर्फ 54 लाख मौतें दिखा रहा है।

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न्यूयॉर्क टाइम्स ने जताई थी भारत में 42 लाख मौत की आशंका

द न्यूयॉर्क टाइम्स ने जून 2021 में भारत में मौत के सही आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए एक दर्जन से ज्यादा एक्सपर्ट की मदद ली। इन एक्सपर्ट ने भारत में महामारी को तीन स्थितियों में बांटा- सामान्य स्थिति, खराब स्थिति, बेहद खराब स्थिति। इसमें सबसे खराब स्थिति में भारत में 70 करोड़ लोगों के संक्रमित होने और 42 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था।

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