मान्यता है कि यह त्योहार महिषासुर नाम के एक भैंसा राक्षस पर मां दुर्गा की विजय का प्रतीक है। इसलिए, उन्हें महिषासुरमर्दिनी कहा जाता है, जिसका अर्थ है महिषासुर का वध करने वाली।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि की तरह अश्विन माह की नवरात्रि में भी घर-घर में घट स्थापना की जाती है. इस साल घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:17 से 10:11 तक रहेगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त 11:46 से 12:32 तक रहेगा. जो लोग इन नौ दिनों के दौरान उपवास (Navratri Fast) रख रहे हैं, उनके लिए पारणा का मुहतू 15 अक्टूबर को शाम 06:22 मिनट के बाद होगा
महा अष्टमी कब है
इस वर्ष महाअष्टमी 13 अक्टूबर (बुधवार) को है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस साल चतुर्थी तिथि का क्षय होने से शारदीय नवरात्रि आठ दिन के पड़ रहे हैं। ऐसे में 13 अक्टूबर को अष्टमी व्रत रखना उत्तम है।
मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी 12 अक्टूबर को रात 09:47 शुरू होगी और 13 अक्टूबर को रात 08:07 समाप्त हो जाएगी।
कब है नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल महानवमी तिथि 14 अक्टूबर (गुरुवार) को पड़ रही है। नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है।
देखें – नवरात्रि का पूरा कैलेंडर
(पहला दिन) – 7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है
(दूसरा दिन) -8 अक्टूबर -मां ब्रह्मचारिणी पूजा की जाती है
(तीसरा दिन) -9 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
(चौथा दिन)-10 अक्टूबर- मां स्कंदमाता की पूजा
(पांचवा दिन)-11 अक्टूबर- मां कात्यायनी की पूजा
(छठां दिन)- 12 अक्टूबर- मां कालरात्रि की पूजा
(सातवां दिन) -13 अक्टूबर-मां महागौरी पूजा
(आठवां दिन) -14 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री की पूजा
(नौंवा दिन) -15 अक्टूबर-दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन
कन्या पूजा अष्टमी-नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन यानी कुमारी पूजा नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। कुमारी पूजा को कन्या पूजा और कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में नवरात्रि के सभी नौ दिनों में कुमारी पूजा का सुझाव दिया गया है। नवरात्रि के पहले दिन केवल एक कन्या की पूजा करनी चाहिए और प्रत्येक दिन एक कन्या को जोड़ना चाहिए ।