अकोला। महानगरपालिका चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार सख्त रुख अपनाया है। नगर निगम के पार्षद या उनके परिवार द्वारा किए गए अतिक्रमण पर पहले से ही सदस्यता रद्द करने का प्रावधान था, लेकिन अब इस नियम को और कठोर बना दिया गया है। नई व्यवस्था के अनुसार, आगामी चुनावों से उम्मीदवारों को नामांकन पत्र के साथ अतिक्रमण न होने संबंधी शपथपत्र देना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे अतिक्रमण करने वाले संभावित पार्षदों की मुश्किलें पहले की तुलना में काफी बढ़ने वाली हैं।
अब तक यदि किसी नगरसेवक या उनके परिवार के सदस्य द्वारा शासकीय अथवा सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण सिद्ध होता था, तो महानगरपालिका आयुक्त द्वारा विभागीय आयुक्त को सदस्यता रद्द करने की सिफारिश भेजी जाती थी। इसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर अंतिम निर्णय दिया जाता था। यह प्रक्रिया पहले से लागू थी।
हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग ने अब इसे और कड़ा बनाते हुए चुनाव प्रक्रिया में ही नियंत्रण लगाया है। आगामी महानगरपालिका चुनावों से यह नया नियम लागू होगा।
इसके तहत उम्मीदवार को शपथपत्र में यह घोषित करना होगा कि उन्होंने स्वयं या उनके पति/पत्नी, बच्चे अथवा आश्रितों ने किसी भी प्रकार का अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण नहीं किया है। शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करना होगा कि यदि चुनाव के बाद महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम, 1949 की धारा 10(1-ड) अथवा मुंबई महानगरपालिका अधिनियम, 1888 की धारा 16(1-ड) के अंतर्गत उनके या उनके परिवार द्वारा अतिक्रमण सिद्ध होता है, तो वे पार्षद पद के लिए अयोग्य ठहरेंगे—इस बात की पूरी जानकारी उन्हें है।
इस नए प्रावधान से साफ है कि इस बार नगर निगम चुनाव में अतिक्रमण पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई गई है, जिससे चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।




