सिक्के और नोटों की भी होती हैं एक्सपायरी डेट ,जाने इन चलनो का बाद क्या होता हैं ?

नई दिल्ली- इस साल मार्च में देश में लगभग 34.78 लाख करोड़ रु. की करेंसी (नोट व सिक्के दोनों) चलन में थी। कोलकाता के आरबीआई म्यूजियम में नोटों और सिक्कों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानें। यहां बताया जाता है कि एक नोट की औसत उम्र सिर्फ 8 माह व सिक्के की करीब 25 साल होती है। एक नोट औसतन 8 महीने चलन में रहता है यानी रोजमर्रा के लेनदेन में बार-बार इस्तेमाल, मोड़ने, गंदे/फटने या पुराने पड़ने के कारण खराब हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आठ महीने बाद नोट चलन के लायक नहीं रहता या बेकार हो जाता है। वह तब तक वैध रहता है, जब तक उसकी हालत बेहतर है और उसमें जरूरी सुरक्षा चिह्न और डिजाइन स्पष्ट हों। पुराने या फटे नोटों को दोबारा नोट बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
इन्हें मशीनों में काटकर छोटे टुकड़ों यानी ब्रिकेट्स, में बदलते हैं। ये ब्रिकेट्स जमीन भराई या ईंधन के विकल्प के रूप में जलाने के काम आते हैं। आरबीआई इनके पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित उपयोग के लिए शोध कर रहा है- जैसे कि बोर्ड पैनल, सजावटी सामान या फर्नीचर बनाना। आरबीआई म्यूजियम में नोटों की छपाई की प्रक्रिया समझाई जाती है। नोटों की छपाई में स्वदेशी कागज, स्याही और सुरक्षा फीचर्स का इस्तेमाल होता है, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो।
हर साल छपाई के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा आदेश (इंडेंट) दिया जाता है, जो अर्थव्यवस्था की जरूरतों को देखकर बनाया जाता है।आरबीआई मनमर्जी से जितने चाहे उतने नोट नहीं छाप सकता; हर नोट के एवज में गोल्ड, सरकारी प्रतिभूतियां या विदेशी मुद्रा जैसी एसेट्स रिजर्व में रखनी पड़ती हैं। म्यूजियम में नोटबंदी का इतिहास भी यहां देखने को मिलता है।

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