शताब्दी वर्ष में पंचपरिवर्तन पर रहेगा संघ का विशेष जोर — सुनील आंबेकर

विजयादशमी उत्सव में संघ की एकता, अनुशासन और राष्ट्रनिष्ठा का प्रदर्शन

दैनिक दिव्य हिन्दी अकोला | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष की पूर्वभूमिका के रूप में रविवार को अकोला में आयोजित श्री विजयादशमी उत्सव में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनीलजी आंबेकर ने कहा कि – “दुर्गुणों को दूर करने का मार्ग कोर्ट, राजनीति या झगड़ों में नहीं, बल्कि समरसता में निहित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले शताब्दी वर्ष में संघ ‘पंचपरिवर्तन’ के सूत्र पर कार्य करेगा — जिसमें हिंदू संमेलने, गृहसंपर्क अभियान और सर्वसमावेशक समाज जोड़ अभियान पर विशेष बल दिया जाएगा।

आंबेकरजी ने कहा, “हिंदुत्व सबको जोड़ने वाला तत्व है। यह जीवन की संस्कृति है, विभाजन नहीं बल्कि एकता का आधार है। श्रीराम ही भारत का परिचय हैं। आज देश समृद्ध, स्वावलंबी और आदर्श राष्ट्र के रूप में विश्व के सामने उदाहरण बन रहा है।” उन्होंने आवाहन किया कि समाज के सभी घटक एकजुट होकर अराजकता फैलाने वाली शक्तियों का प्रतिकार करें और शिव-शक्ति की आराधना के माध्यम से संगठन शक्ति को सुदृढ़ करें।

विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन

उत्सव का आयोजन गौरक्षण मार्ग स्थित एकविरा मैदान में किया गया, जहाँ हजारों नागरिक, विभिन्न पंथों के प्रतिनिधि और तृतीय पंथीय भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्र पूजन और ध्वज वंदन से हुई। तत्पश्चात स्वयंसेवकों ने लाठी-काठी कवायद, योगासन और देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी।

प्रास्ताविक उद्बोधन महानगर संघचालक नरेंद्र देशपांडे ने किया, जबकि प्रमुख अतिथि के रूप में उद्योगपति शिवप्रकाश रुहाटिया उपस्थित थे। मंच पर महानगर संघचालक गोपाल खंडेलवाल भी उपस्थित रहे।

ऑपरेशन सिंधूरचा उल्लेख और राष्ट्ररक्षा पर भाष्य

आंबेकरजी ने कहा कि एक समय देश में अनेक स्थानों पर आतंकवादी घटनाएँ होती थीं, पर अब परिस्थितियाँ बदली हैं। “ऑपरेशन सिंधूर और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाईयों से भारत ने अपने शत्रुओं को सशक्त उत्तर दिया है।”
उन्होंने कहा कि भारत अब आत्मनिर्भरता और नवनवीन विज्ञान-तकनीकी विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और समाज को भी राष्ट्रहित में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

एआई संस्कार नहीं दे सकता

समाज और संस्कारों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का युग है, लेकिन AI संस्कार नहीं दे सकता। आर्थिक विकास जितना आवश्यक है, उतना ही संस्कृति से जुड़ाव भी जरूरी है। आधुनिकता और परंपरा का समन्वय ही सच्चे अर्थों में सुख और समृद्धि दे सकता है।”

शेतकरी आत्महत्याओं पर संगठनात्मक उपाय आवश्यक — उद्योगपति शिवप्रकाश रुहाटिया

विजयादशमी उत्सव में बोलते हुए उद्योगपति शिवप्रकाश रुहाटिया ने विदर्भ के किसानों की समस्याओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा —
“विदर्भ क्षेत्र में अधिकांश भूमि कोरडवाहू (बारानी) है। सिंचाई की सुविधा का अभाव और फसलों को उचित मूल्य न मिलने के कारण किसान आत्महत्याओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए संघ और उससे जुड़े संगठन आगे आकर ठोस प्रयास करें, यह समय की आवश्यकता है।”

रुहाटिया ने आगे कहा कि “संघ अनुशासन, देशभक्ति और सादगी से जीवन जीने की प्रेरणा देता है। धर्मांतरण रोकने और समाज में एकता स्थापित करने का श्रेय भी संघ को जाता है। आज संघ समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का कार्य कर रहा है, और इसी से भारत सशक्त बन रहा है।”

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